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    ट्रंप के टैरिफ को टक्कर का 'महाप्लान' तैयार, मोदी-पुतिन और चिनफिंग की तिकड़ी करेगी ये काम; दो दिन में क्या होगा?

    चीन 31 अगस्त और 1 सितंबर को एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग 20 से अधिक विश्व नेताओं का स्वागत करेंगे जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे। एससीओ शिखर सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा कई देशों पर टैरिफ लगाए गए हैं। इस सम्मेलन में व्यापार संपर्क और क्षेत्रीय अखंडता जैसे मुद्दों पर बात होगी।

    By Digital Desk Edited By: Abhinav Tripathi Updated: Tue, 26 Aug 2025 04:52 PM (IST)
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    चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन पीएम मोदी समेत 20 वैश्विक नेताओं का जमावड़ा। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन 31 अगस्त और 1 सितंबर को एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इस खास आयोजन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग 20 से ज्यादा विश्व नेताओं का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करेंगे।

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    एससीओ शिखर सम्मेलन में वैश्विक दिग्गज ऐसे समय पर जुट रहे हैं, जब अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया गया है। वहीं, उन्होंने भारत पर 50 प्रतिशत, तो रूस पर टैरिफ के साथ कई प्रतिबंध लगाने का एलान किया है। ऐसे में समय में दुनिया के बड़े नेताओं का एक मंच पर जुटना ट्रंप के लिए टेंशन बन सकती है।

    एक मंच पर जुटेंगे दुनिया के 20 देशों के दिग्गज

    एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी इस बार चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग कर रहे हैं। इस दौरान एक मंच पर 20 से अधिक देशों के नेता जुटेंगे। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे।

    पीएम मोदी के अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अलावा, मध्य एशिया, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के नेताओं को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। यह शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन में आयोजित होगा।

    सात साल में पहली बार चीन की यात्रा करेंगे पीएम

    बता दें कि करीब 7 साल में पहली बार पीएम मोदी चीन की यात्रा करने जा रहे हैं। दोनों पड़ोसी देश 2020 में हुई घातक सीमा झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।

    पिछले साल एक मंच पर आए थे शी चिनफिंग और पीएम मोदी

    गौरतलब है कि एक साल पहले कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ प्रधानमंत्री ने एक मंच साझा किया था। वहीं, पिछले हफ्ते ही भारत में रूसी दूतावास के अधिकारियों ने कहा कि रूस को उम्मीद है कि चीन और भारत के साथ त्रिपक्षीय वार्ता जल्द होगी।

    क्या ब्रिक्स ने अमेरिका को किया है परेशान?

    इधर, शोध एजेंसी, द चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट के प्रधान संपादक एरिक ओलैंडर का मानना है कि ब्रिक्स के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप काफी परेशान हैं। उन्होंने माना कि इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से राष्ट्रपति शी चिनफिंग दिखाने का प्रयास करेंगे कि ट्रंप के नेतृत्व के बाद अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था कैसी नजर आने लगी है।

    इसके साथ ही चीनी विदेश मंत्रालय ने हालिया एक बयान में कहा कि साल 2001 के बाद इस साल होने वाला शिखर सम्मेलन काफी बड़ा होने वाला है।

    क्या महत्वपूर्ण मुद्दों पर कम हो रही एएससीओ की प्रभावशीलता?

    इस बीच बेंगलुरु स्थित तक्षशिला इंस्टीट्यूशन थिंकटैंक में इंडो-पैसिफिक रिसर्च प्रोग्राम के अध्यक्ष मनोज केवलरमानी ने कहा कि एससीओ किस सटीक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है उसका व्यावहारिक कार्यान्वयन कितना होगा, इसको लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है।

    उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मंच है, जिसके संयोजक शक्ति में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हालांकि, कई महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों के समाधान में एससीओ की प्रभावशीलता काफी सीमित होती नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि एससीओ के मुख्य सदस्य भारत और पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर मतभेद अभी भी बने हुए है।

    द्विपक्षीय बैठक करेंगे पीएम मोदी

    भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी तन्मय लाल ने कहा कि एससीओ में भारत की प्राथमिकताओं में व्यापार, संपर्क, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान शामिल है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी इस शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठकें भी कर सकते हैं।

    गौरतलब है कि विश्लेषकों का मानना है कि भारत और चीन सीमा पर और भी कई कदम उठाएंगे। इनमें सैनिकों की वापसी, व्यापार और वीजा प्रतिबंधों में ढील, जलवायु सहित नए क्षेत्रों में सहयोग और व्यापक सरकारी और लोगों के बीच जुड़ाव शामिल है। (समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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