ट्रंप के लगेगा 440 बोल्ट का झटका! मोदी-चिनफिंग-पुतिन की तिकड़ी ने बना लिया खास प्लान? दुनिया देखेगी भारत की ताकत
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन में होगा में ग्लोबल साउथ की ताकत दिखेगी। इस सम्मेलन में चीन भारत रूस और मध्य एशिया समेत कई देशों के नेता भाग लेंगे। यह शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ की एकजुटता का प्रतीक है। पीएम मोदी की चीन यात्रा और भारत-चीन-रूस के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की संभावना है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ की ताकत एक बार फिर दिखाई देगी। दुनिया भर की नजर चीन के तियानजिन में होने वाली एससीओ शिखर सम्मेलन रहेगी।
क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अलावा मध्य एशिया, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के नेता भी शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। ये सम्मेलन ग्लोबल साउथ की एकजुटता का प्रतीक बनेगा। और प्रतिबंधों से जूझ रहे रूस को एक और कूटनीतिक सफलता हासिल करने में भी मदद करेगा।
ट्रंप टैरिफ के बीच चीन जाएंगे पीएम मोदी
पीएम मोदी कई सालों बाद चीन की यात्रा कर रहे हैं क्योंकि साल 2020 में हुए सीमा विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आ गई थी, हालांकि बीते साल दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात के बाद रिश्तों में सुधार का दौर शुरू हुआ। पीएम मोदी के चीन यात्रा उसी दिशा में एक और अहम कदम है। पीएम मोदी की चीन यात्रा ऐसे दौर में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार टैरिफ अटैक करने में लगे हैं।
भारत-चीन-रूस के बीच त्रिपक्षीय यात्रा संभव
प्रधानमंत्री मोदी ने आखिरी बार पिछले साल रूस के कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शी और पुतिन के साथ एक ही मंच साझा किया था, जबकि पश्चिमी नेताओं ने यूक्रेन में युद्ध के बीच रूसी नेता से मुंह मोड़ लिया था। नई दिल्ली में रूसी दूतावास के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कहा था कि मॉस्को को उम्मीद है कि चीन और भारत के साथ त्रिपक्षीय वार्ता जल्द ही होगी।
टैरिफ के असर के कम करने की होगी कोशिश
रिसर्च एजेंसी, द चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट के एडिटर-इन-चीफ एरिक ओलैंडर ने कहा, चीनी राष्ट्रपति इस मंच का उपयोग दुनिया के यह दिखाने के लिए करेंगे कि अमेरिका का नेतृत्व के बाद की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था कैसी दिखने लगी है और जनवरी से चीन, ईरान, रूस और अब भारत का मुकाबला करने के व्हाइट हाउस के सभी प्रयासों का अपेक्षित प्रभाव नहीं पड़ा है।
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन
चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने पिछले हफ्ते कहा कि इस साल का शिखर सम्मेलन 2001 में एससीओ की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा होगा। उन्होंने इस समूह को "नए प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण शक्ति" बताया।
सुरक्षा-केंद्रित यह समूह, जो छह यूरेशियाई देशों के समूह के रूप में शुरू हुआ था, हाल के सालों में 10 स्थायी सदस्यों और 16 संवाद एवं पर्यवेक्षक देशों तक विस्तारित हो गया है। इसका कार्यक्षेत्र सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध से बढ़कर आर्थिक और सैन्य सहयोग तक भी पहुंच गया है।
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