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    ट्रंप ने दिखाई आंख तो BRI से बाहर हो गया ये लैटिन अमेरिकी देश! चीन ने राजदूत को किया समन

    बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए रोड रेल और समंदर के रास्ते इस नेटवर्क को तैयार करने के लिए साल 2013 में शुरू किया गया था. पनामा 2017 में बीआरआइ में आधिकारिक रूप से शामिल होने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश बना था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह पनामा नहर से चीन का दबदबा कम करेंगे इसके बाद पनामा BRI से बाहर आ गया।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Sat, 08 Feb 2025 10:08 PM (IST)
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    पनामा ने चीन के साथ अपनी विदेश नीति में अहम बदलाव का संकेत दिया है। (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) से पनामा बाहर निकल गया है। ऐसा कदम उठाने वाले पहले लैटिन अमेरिकी देश पनामा ने चीन के वैश्विक बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के साथ अपनी विदेश नीति में अहम बदलाव का संकेत दिया है।

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    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पनामा नहर वापस लेने की धमकी के बाद अरबों डॉलर के बीआरआइ से बाहर निकलने के बाद चीन ने बीजिंग में पनामा के राजदूत मिगुएल हंबेर्टो बार्सेनास को शुक्रवार को समन किया। पनामा 2017 में बीआरआइ में आधिकारिक रूप से शामिल होने वाला पहला लैटिन अमेरिकी देश बना था।

    अमेरिका पर फूटा चीन का गुस्सा

    यह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की देश के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने वाली रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अल जजीरा के अनुसार, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जिआन ने शुक्रवार को अमेरिका पर वैश्विक बुनियादी ढांचा पहल को कमजोर करने के प्रयास के लिए आलोचना की।

    प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग के बीआरआई को बदनाम और क्षति पहुंचाने के लिए अमेरिकी दबाव और बल प्रयोग करने के प्रयास का चीन तीव्र विरोध करता है। अल जजीरा के अनुसार, प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका के इस तरह के हमलों से वर्चस्ववादी प्रकृति से पर्दा उठ जाता है।

    क्या है बीआरआई प्रोजेक्ट?

    चीन ने सिल्क रूट की तरह ही व्यापार के लिए रास्तों का एक नए नेटवर्क को तैयार करने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट खड़ा किया है.

    बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए रोड, रेल और समंदर के रास्ते इस नेटवर्क को तैयार करने के लिए साल 2013 में शुरू किया गया था. बता दें सिल्क रूट कोई तय रास्ता नहीं बल्कि रास्तों का एक पूरा नेटर्वक था, जिसमें एशिया और यूरोप को जोड़ा गया था.

    ईसा पूर्व 130 से लेकर साल 1453 तक यानी करीब 1,500 सालों तक पूर्वी एशिया और यूरोप के मुल्कों के लिए व्यापारी इन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करते थे. ये रास्ता करीब 6,437 किलोमीटर का था. ये रास्ता गोबी रेगिस्तान और पामीर की पहाड़ियों जैसे दुनिया के कई दुर्गम रास्तों से होकर गुजरता था.

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