चीन पर बढ़ रहा घरेलू कर्ज का बोझ, उत्पादन और कर्ज में बिगड़ रहा अनुपात
चीन की सरकार नियंत्रित बैंकिंग व्यवस्था ने विदेशी कर्ज में नुकसान की बात स्वीकार की है लेकिन उससे बड़ा नुकसान उसे चीन के भीतर हो रहा है। बैंकिंग संस्था जेपी मार्गन चेज के जून में आए शोध नतीजे से पता चला है कि चीन के भीतर कर्ज का आकार उसके वार्षिक उत्पादन से 282 प्रतिशत ज्यादा हो गया है। ( जागरण-फोटो)

बीजिंग, एएनआई। विश्व के करीब 150 देशों को एक हजार अरब डालर का कर्ज देने वाला चीन खुद कर्ज के संकट से जूझ रहा है। इसके चलते अब वह सहयोगी देशों को और ज्यादा कर्ज देने में सतर्कता बरत रहा है। यह जानकारी कीथ ब्रैडशेर ने न्यूयार्क टाइम्स में लिखे लेख में दी है।
किसके बीच फंसी धनराशि?
चीन के भीतर हजारों अरब डालर की धनराशि प्रांतीय सरकारों, आर्थिक संस्थानों और रीयल स्टेट कारोबारियों के बीच फंस गई है। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने पिछले हफ्ते की चीन यात्रा में कम आय वाले विकासशील देशों पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ और उससे जुड़े खतरों पर अपने चीनी समकक्ष से चर्चा की है।
वैश्विक अस्थिरता पैदा होने का खतरा
इससे वैश्विक अस्थिरता पैदा होने का खतरा जताया है। चीन की सरकार नियंत्रित बैंकिंग व्यवस्था ने विदेशी कर्ज में नुकसान की बात स्वीकार की है लेकिन उससे बड़ा नुकसान उसे चीन के भीतर हो रहा है। बैंकिंग संस्था जेपी मार्गन चेज के जून में आए शोध नतीजे से पता चला है कि चीन के भीतर कर्ज का आकार उसके वार्षिक उत्पादन से 282 प्रतिशत ज्यादा हो गया है।
चीन अपने घरेलू कर्जों में फंसा
जबकि अन्य विकसित देशों में यह 256 प्रतिशत है और अमेरिका में 257 प्रतिशत है। इससे स्पष्ट है कि चीन अपने घरेलू कर्जों में फंसता जा रहा है। अगर कर्ज बांटने और वसूली में सतर्कता न बरती गई तो चीन में हालात भयावह हो सकते हैं।
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