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    'यह भारतीय सभ्यता का लघु इतिहास', श्रीमद्भगवद् गीता की महिमा के आगे नतमस्तक हुए चीनी विद्वान

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 09:02 PM (IST)

    श्रीमद्भगवद् गीता की महिमा से प्रभावित होकर चीनी विद्वानों ने इसे 'ज्ञान का अमृत' और 'भारतीय सभ्यता का लघु इतिहास' बताया है। भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में, विद्वानों ने गीता को आधुनिक समस्याओं का समाधान बताया और भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने का आग्रह किया। उन्होंने इसे कर्तव्य, कर्म और वैराग्य का प्रतीक बताया।

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    श्रीमद्भगवद् गीता को बताया ज्ञान का भंडार।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथ श्रीमद्भगवद् गीता की महिमा के आगे अब चीनी विद्वान भी नतमस्तक हो रहे हैं। उन्होंने इसके प्रति अपार आदर एवं श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा है कि भगवद् गीता ''ज्ञान का अमृत'' और ''भारतीय सभ्यता का लघु इतिहास'' है जो आधुनिक समय में लोगों के सामने आने वाली आध्यात्मिक और भौतिक दुविधाओं का समाधान प्रस्तुत करती है।

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    'संगमम् - भारतीय दार्शनिक परंपराओं का संगम' विषय पर भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में चीनी विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गीता को भारत का दार्शनिक विश्वकोश बताया और भौतिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की इसकी कालातीत अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला।

    गीता का चीनी भाषा में अनुवाद करने वाले झांग बाओशेंग

    इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता 88 वर्षीय प्रोफेसर झांग बाओशेंग थे, जिन्होंने भगवद् गीता का चीनी भाषा में अनुवाद किया है। गीता को एक आध्यात्मिक महाकाव्य बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका अनुवाद आवश्यक था क्योंकि यह भारत के आध्यात्मिक दृष्टिकोण - कर्तव्य, कर्म और वैराग्य के विचार को प्रकट करता है जो आज भी भारतीय जीवन को आकार देते हैं।

    दक्षिण में कन्याकुमारी से लेकर उत्तर में गोरखपुर तक भारत (1984-86) में अपने अनुभवों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने हर जगह भगवान कृष्ण की उपस्थिति को महसूस किया। उन्होंने देखा कि इस ग्रंथ का भारतीय मनोविज्ञान, नैतिकता और सामाजिक जीवन पर एक जीवंत प्रभाव है।

    इसे ''भारतीय सभ्यता का एक लघु इतिहास' बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवद् गीता ने चीन सहित दुनिया के बाकी हिस्सों में भी गहरी पैठ बनाई, जिसके कारण इसका सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हुआ।

    झेजियांग यूनिवर्सिटी में प्राच्य दर्शन अनुसंधान केंद्र के निदेशक प्रोफेसर वांग झी-चेंग ने अपने संबोधन में कहा कि 'भगवद् गीता 5,000 वर्ष पूर्व भारतीय युद्धभूमि पर आधारित एक संवाद है जो समय से परे जाकर आज लोगों की चिंताओं और उलझनों का समाधान करती है।''

    गीता को बताया ज्ञान का अमृत

    गीता को ज्ञान का अमृत बताते हुए उन्होंने कहा कि 'भगवान श्रीकृष्ण के उत्तर भगवद् गीता के 700 श्लोकों में अंकित हैं। ये शब्द पुराने सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि आध्यात्मिक कुंजियां हैं जो सहस्त्राब्दियों से चली आ रही हैं।'' उन्होंने चीनी श्रोताओं के समक्ष भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रतिपादित ''जीवन की समस्याओं के समाधान हेतु तीन ज्ञान'' - कर्म योग, सांख्य योग और भक्ति योग - के ''मूल'' की रूपरेखा प्रस्तुत की, जो आधुनिक विश्व में लोगों के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने का मार्ग प्रदान करते हैं।

    उन्होंने कहा, ''गीता का ज्ञान वह प्रकाश है जो तब प्रकट होता है जब हम भटक जाते हैं।'' शेन्जेन यूनिवर्सिटी में भारतीय अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रोफेसर यू लोंग्यु ने कहा कि विभिन्न चीनी विद्वानों द्वारा किए गए अध्ययनों से उभरे मुख्य बिंदु यह थे कि एक महान सभ्यता के रूप में भारत के पास एक महत्वूपर्ण सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत है जिसका गहन अध्ययन और प्रसार किया जाना चाहिए।

    चीनी विद्वानों से किया भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने का आग्रह

    उन्होंने कहा, ''आधुनिक समय में चीन के प्रमुख विद्वानों ने अक्सर 'त्रिविध शिक्षा - चीनी, पश्चिमी और भारतीय' को अपनाया है। इसलिए मैं चीनी विद्वानों से आग्रह करता हूं कि वे समर्पण के साथ भारतीय संस्कृति का अध्ययन करें और चीन के कायाकल्प, भारत-चीन सद्भाव और विश्व शांति में योगदान दें।''

    चीनी विद्वानों का स्वागत करते हुए चीन में भारतीय राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने कहा कि यह संगोष्ठी दूतावास द्वारा पिछले वर्ष आयोजित रामायण सम्मेलन का विस्तार था।

    उन्होंने कहा, ''हजारों वर्षों से भारत की दार्शनिक परंपराएं सबसे बुनियादी सवालों के जवाब खोजने की कोशिश करती रही हैं : 'सत्य क्या है? वास्तविकता का स्वरूप क्या है? ज्ञान और कर्म परम मोक्ष की ओर कैसे ले जाते हैं? दर्शन या दार्शनिक विचारधाराएं - न्याय के तर्क से लेकर योग के अनुशासन तक, वेदांत के आत्मनिरीक्षण से लेकर बौद्ध धर्म की करुणा तक - ज्ञान और सद्भाव की एक ही खोज के विविध मार्ग प्रस्तुत करती हैं।''

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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