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    'हम दोनों इस संघर्ष का दर्द समझते हैं...', दिल्ली की हवा सुधारने के लिए चीन ने दिए ये सुझाव

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 01:53 PM (IST)

    चीन ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए सुझाव दिए हैं, क्योंकि वे भी इसी तरह की समस्या से जूझ चुके हैं। उनका मानना है कि दोनों देशों को इस संघर् ...और पढ़ें

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    बीते दिनों दिल्ली का AQI 437 तक पहुंच गया था।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली और उत्तर भारत के बड़े इलाके इन दिनों घने जहरीले धुंध की चपेट में हैं। मंगलवार दोपहर 4 बजे दिल्ली का AQI 437 तक पहुंच गया था, जबकि बुधवार सुबह 8 बजे यह 370 था। सांस लेना मुश्किल हो रहा है, स्कूल बंद हो रहे हैं और लोग घरों में कैद होने को मजबूर हैं।

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    इसी बीच चीन की दूतावास ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली, जिसमें बीजिंग की साफ हवा की तारीफ करते हुए दिल्ली की खराब स्थिति से तुलना की गई। चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने सोमवार शाम को लिखा, "चीन और भारत दोनों तेज शहरीकरण के बीच वायु प्रदूषण के संघर्ष को अच्छी तरह जानते हैं।"

    उन्होंने बीजिंग और आसपास के इलाकों के AQI की तस्वीरें शेयर कीं, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम स्तर की थी। वहीं दिल्ली और NCR का AQI 447 तक पहुंच चुका था, जो खतरनाक श्रेणी में आता है।

    एक दशक के लगातार प्रयासों का नतीजा

    यू जिंग ने कहा कि यह फर्क चीन के पिछले एक दशक के लगातार प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने लिखा, "हम एक छोटी सीरीज शेयर करेंगे, जिसमें बताया जाएगा कि चीन ने वायु प्रदूषण से कैसे मुकाबला किया।"

    यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। कई यूजर्स ने इस पेशकश का स्वागत किया और दिल्ली की खराब हवा की हालत पर चिंता जताई।

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    चीन ने कैसे जीती प्रदूषण की जंग?

    चीन ने 2013 में 'प्रदूषण पर युद्ध' घोषित किया और राष्ट्रीय स्वच्छ हवा एक्शन प्लान शुरू किया। इसमें क्षेत्रीय लक्ष्य तय किए गए और स्थानीय अधिकारियों पर इन्हें पूरा करने का दबाव डाला गया। खास तौर पर PM2.5 के स्तर को कम करने पर जोर दिया गया।

    इसके साथ ही AQI की निगरानी को मजबूत किया गया। सबसे महत्वपूर्ण कदम डेटा में किसी तरह की छेड़छाड़ रोकना था। कोयले का इस्तेमाल, खासकर छोटे घरों में गर्मी के लिए, प्रदूषण का बड़ा कारण था। चीन ने बीजिंग को कोयले से दूर करके गैस आधारित बिजली और हीटिंग प्लांट पर शिफ्ट किया।

    चीन ने वाहनों के उत्सर्जन पर भी कड़ा नियंत्रण किया। ईंधन और वाहनों के नए मानक लागू किए गए। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया गया ताकि लोग निजी गाड़ियों की बजाय बस-मेट्रो का इस्तेमाल करें। निजी कारों की संख्या को भी नियंत्रित किया गया।

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