चीन ने अरुणाचल को 'कोर इंटरेस्ट' कैटेगरी में रखा, समझौते के मूड में नहीं; अमेरिकी रिपोर्ट का बड़ा खुलासा
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपनी 'कोर इंटरेस्ट' में शामिल किया है, जिससे इस मुद्दे पर किसी समझौते की संभावना ...और पढ़ें

अमेरिकी रिपोर्ट में दावा है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश को कोर इंट्रेस्ट कैटेगरी में रखा है। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट ने चीन के रुख पर सनसनीखेज खुलासा किया है। रिपोर्ट कहती है कि चीन अब भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश को अपनी 'कोर इंटरेस्ट' में शामिल कर चुका है।
इसका मतलब है कि बीजिंग इस मुद्दे पर कोई बातचीत या समझौता करने को तैयार नहीं है। यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई है और इसमें चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं का जिक्र है।
रिपोर्ट में बताया गया कि चीन की लीडरशिप ने अपनी 'कोर इंटरेस्ट' की लिस्ट बढ़ा दी है। इसमें ताइवान, साउथ चाइना सी में समुद्री विवाद, जापान के सेनकाकू द्वीप और अब अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
चीनी अधिकारियों के मुताबिक, इन इलाकों पर कब्जा और एकीकरण 'चीनी राष्ट्र के महान पुनरुत्थान' के लिए जरूरी है, जो 2049 तक पूरा होना है।
चीन की 'कोर इंटरेस्ट' क्या हैं?
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एक 'पुनरुत्थित' चीन वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर होगा। उसके पास 'विश्व स्तरीय' सेना होगी, जो 'लड़कर जीतने' में सक्षम होगी।
इसके साथ ही, यह सेना बीजिंग की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करेगी। चीन तीन मुख्य 'कोर इंटरेस्ट' को राष्ट्रीय पुनरुत्थान का आधार मानता है और इन पर कोई समझौता नहीं करेगा।
पहला है चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का नियंत्रण। दूसरा, चीन की आर्थिक विकास को बढ़ावा देना। तीसरा, चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार।
रिपोर्ट बताती है कि सीसीपी अपनी सत्ता पर किसी भी तरह के खतरे को लेकर बेहद संवेदनशील है, चाहे वह घरेलू हो या विदेशी। अगर कोई चीन के हितों की रक्षा न करने का आरोप लगाए, तो सीसीपी उसे बर्दाश्त नहीं करती है।
भारत-चीन संबंधों में क्या हो रहा?
रिपोर्ट में भारत-चीन संबंधों पर भी फोकस है, खासकर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के हालात का जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया कि अक्टूबर 2024 में भारतीय नेतृत्व ने चीन के साथ एक समझौता होने की घोषणा की है।
इस समझौते के तहत एलएसी पर बचे हुए स्टैंडऑफ साइट्स से दोनों पक्ष अलग होंगे। यह घोषणा ब्रिक्स समिट के दौरान राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात से दो दिन पहले हुई थी।
यह मुलाकात दोनों देशों के बीच हाई-लेवल मंथली मीटिंग्स की शुरुआत थी। इनमें बॉर्डर मैनेजमेंट और द्विपक्षीय रिश्तों के अगले कदमों पर चर्चा हुई। जैसे, डायरेक्ट फ्लाइट्स शुरू करना, वीजा आसान बनाना और एकेडमिक्स व पत्रकारों के आदान-प्रदान सरीखे कदम उठाए गए है।
चीन तनाव कम करना चाहता है?
रिपोर्ट कहती है कि चीन एलएसी पर तनाव कम करना चाहता है, ताकि द्विपक्षीय रिश्ते स्थिर हों और अमेरिका-भारत के संबंध मजबूत न हों। लेकिन रिपोर्ट में यह भी जोड़ा गया है कि भारत चीन के कदमों और इरादों पर सशंकित रहेगा। दोनों पक्षों में आपसी अविश्वास बना रहेगा।
इसके अलावा, दूसरे झगड़ों की वजह से रिश्ते सीमित रहेंगे। कुल मिलाकर, चीन अपनी 'कोर इंटरेस्ट' को लेकर सख्त रुख अपनाएगा, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है।
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