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जेनेटिक मैपिंग के लिए चीन जुटा रहा 70 करोड़ लोगों का डीएनए सैंपल, निशाने पर कुछ खास वर्ग!

चीन अमेरिकी कंपनी की बनाई किट की मदद से करोड़ों लोगों के डीएनए सैंपल कलेक्‍ट कर रहा है। उसका विचार एक जेनेटिक मैपिंग तैयार करने का है। लेकिन लोगों को कुछ और ही आशंका है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 12:42 PM (IST)
जेनेटिक मैपिंग के लिए चीन जुटा रहा 70 करोड़ लोगों का डीएनए सैंपल, निशाने पर कुछ खास वर्ग!
जेनेटिक मैपिंग के लिए चीन जुटा रहा 70 करोड़ लोगों का डीएनए सैंपल, निशाने पर कुछ खास वर्ग!

वॉशिंगटन (न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स)। चीन दुनिया का सबसे बड़ा जेनेटिक मैप बनाने पर काम कर रहा है। इसके लिए वह करीब 70 करोड़ लोगों का ब्‍लड सैंपल ले रहा है। पुलिस की मदद से ये ब्‍लड सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। इसे चीन की सरकार द्वारा वहां के लोगों पर अपनी पैनी नजर रखने के तौर पर भी देखा जा रहा है। हालांकि ये काम चीन की तरफ से हाल ही में शुरू नहीं किया गया है बल्कि इसको चीन ने 2017 में ही शुरू कर दिया था। आस्‍ट्रेलियन स्‍ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिटयूट द्वारा किए गए एक शोध की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से चीन का अपने ही लोगों पर जेनेटिक नियंत्रण बढ़ जाएगा और वो इसकी मदद से करोड़ों लोगों को ट्रैक कर सकेंगे। 

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इस अभियान में पुलिस पुरुषों के खून, लार और अन्य जेनेटिक मटेरियल से सैंपल इकट्‌ठे कर रही है। इस काम में अमेरिकी कंपनी थर्मोफिशर उसकी मदद कर रही है। इसी कंपनी ने इसकी मैंपिंग और टेस्टिंग में काम आने वाली किट तैयार की है और इसको चीन को बेचा है। ये किट पूरी तरह से चीन की जरूरतों को देखते हुए तैयार की गई है। अमेरिकी सांसदों ने इसको लेकर कंपनी का जमकर विरोध किया है। वहीं कंपनी ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि ये केवल एक किट है जिसको फोरेंसिक डीएनए टेस्टिंग के लिए ग्‍लोबल स्‍टेंडर्ड के मुताबिक तैयार किया गया है।

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा इस कंपनी से ये किट खरीदने की सिर्फ एक यही वजह नहीं है बल्कि चीन के डॉक्‍टर इसकी मदद से जानलेवा वायरस की स्‍क्रीनिंग भी कर सकेंगे। इस कंपनी ने डीएनए इक्‍यूपमेंट्स कई दूसरे देशों की पुलिस को भी बेचे हैं। पुलिस का कहना है कि जेनेटिक मैपिंग से उन्‍हें अपराध कम करने और अपराधियों की पकड़-धकड़ में मदद मिलेगी। हालांकि माना ये भी जा रहा है कि चीन इस तकनीक का इस्‍तेमाल देश में रहने वाले उइगर मुसलमान, तिब्बती मूल के अल्पसंख्यकों और कुछ खास समूहों को ट्रैक करने के लिए करने वाला है। 

आपको बता दें कि चीन लगातार उइगर मुस्लिमों के ऊपर कई तरह से अत्‍याचार कर रहा है। बीते कुछ वर्षों में चीन की सरकार ने इन लोगों पर शिकंजा कड़ा कर दिया है। कई जगहों पर इनके धार्मिक स्‍थलों को भी निशाना बनाया गया और हजारों की तादाद में इन लोगों को विभिन्‍न आरोपों में जेलों में बंद कर दिया गया है। यही वजह है कि कुछ मानवाधिकार संगठन आशंका जता रहे हैं कि इससे लोगों की निजता खतरे में पड़ेगी और ये एक खास वर्ग के लोगों के खिलाफ इस्‍तेमाल किया जाएगा। इन्‍हें डर है कि इसकी मदद से इन लोगों को झूठे आरोपों में फंसाया भी जा सकता है। 

पुलिस की मानें तो इसको लोगों की इजाजत के बाद लिया जा रहा है। लेकिन राइट एक्टिविस्‍ट मानते हैं कि चीन में लोगों को अधिकार केवल दिखाने के लिए है। वास्‍तव में उनके पास किसी आदेश को न मानने का अधिकार है ही नहीं। इसी आशंका की वजह से इस अभियान का कई जगहों पर विरोध भी हुआ है जिसके चलते सरकार की तरफ से ये अभियान तेज कर दिया गया है। पुलिस टीमें स्कूलों से ही बच्चों के सैंपल ले रही हैं। हालांकि

आस्‍ट्रेलियन स्‍ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिटयूट मानता है कि ये केवल अपराध को कम करने के लिए किया जा रहा है। लेकिन जब एनवाईटी ने इस बाबत सरकार के रुख की जानकारी लेनी चाही तो उन्‍होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

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