India-Canada Relations: मार्क कार्नी की जीत से सुधरेंगे भारत-कनाडा के रिश्ते? पढ़ें क्या है लिबरल नेता की राय
कनाडा में लिबरल पार्टी की जीत के बाद भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्क कार्नी को बधाई दी है और कहा है कि भारत कनाडा के साथ अपने रिश्तों को फिर से मजबूत करने को इच्छुक है। पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत-कनाडा रिश्तों में जो खटास आई थी उसके भी दूर होने की संभावना बन गई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कनाडा की लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी (Mark Carney) को चुनाव में जीत के लिए मंगलवार को बधाई दी है। कार्नी की नेतृत्व लिबरल पार्टी ने आम चुनाव में जीत हासिल की है। कार्नी को सबसे पहले बधाई देने वाले वैश्विक नेताओं में पीएम मोदी शामिल हैं। उन्होंने कार्नी को साफ तौर पर संकेत दे दिया है कि भारत कनाडा के साथ अपने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने को इच्छुक है।
पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत-कनाडा रिश्तों में जो खटास आई थी, उसके भी दूर होने की संभावना बन गई है। कार्नी चुनाव प्रचार के दौरान भारत के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने का संकेत दे चुके हैं।
पीएम मोदी ने दी मार्क कार्नी को बधाई
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, कनाडा में चुनाव जीतने के लिए मार्क आपको (कार्नी) और लिबरल पार्टी को बहुत बधाई। भारत और कनाडा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता और दोनों देशों की जनता के बीच जीवंत संबंधों को साझा करते हैं।
मैं आपके साथ आपसी साझेदारी को मजूबत करने और अपनी जनता के लिए अपार अवसरों को हासिल करने के लिए मैं तत्पर हूं।पीएम मोदी के इस बधाई संदेश के खास मायने निकाले जा रहे हैं। खास तौर पर जिस तरह से उन्होंने कानून के शासन को लेकर भारत की प्रतिबद्धता जताई है।
भारत कनाडा के रिश्तों में आ चुकी है खटास
सनद रहे कि पूर्व पीएम ट्रूडो ने जब भारत की सरकारी एजेंसियों पर खालिस्तानी आतंकी हरजीत सिंह निज्जर की हत्या कनाडा में करवाने का आरोप लगाया तो दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई थी। बाद में दोनों देशों ने एक दूसरे के कई राजनयिकों को बाहर निकाल दिया। उच्चायुक्तों को भी वापस बुला लिया गया।
फिर से सुधर सकते हैं भारत-कनाडा के रिश्ते
कूटनीतिक जानकार बताते हैं कि पड़ोसी देश अमेरिका के साथ खराब होते रिश्ते के बीच कनाडा की नई सरकार भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश कर सकती है।
खालिस्तान समर्थक एनडीपी और इसके नेता जगमीत सिंह की हार के बाद कनाडा की राजनीति में खालिस्तान समर्थकों का भाव कम होगा, इससे भी भारत के साथ रिश्ते सुधारने में मदद मिलेगी। जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन पर सरकार के निर्भर होना भी एक बड़ा कारण था जिस वजह से ट्रूडो ने भारत के साथ रिश्तों की परवाह नहीं की।
एनडीपी के समर्थन वापसी से उनकी सरकार पर खतरा हो सकता था, लेकिन इस बार एनडीपी को करारी शिकस्त मिली है। जगमीत खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करता है। निज्जर की हत्या के लिए वह भारतीय एजेंटों को दोषी ठहराता रहा है। उसकी पार्टी भारत विरोधी प्रदर्शनी का आयोजन करती है जिसमें भारतीय नेताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की जाती रही है।
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