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    चीन और ईरान को साधने के लिए पाकिस्तान बनेगा अमेरिकी अड्डा, ट्रंप ने शुरू किए पैंतरे आजमाना

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 10:30 PM (IST)

    अमेरिका पाकिस्तान को फिर से इस्तेमाल करने की रणनीति बना रहा है। अफगानिस्तान में मिशन खत्म होने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को अधिक महत्व नहीं दिया जिसके कारण पाकिस्तान चीन के करीब चला गया। अब ईरान और चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को फिर से अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहा है।

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    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कर रहे पाकिस्तान का इस्तेमाल। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान को इस्तेमाल करने के लिए पैंतरे आजमाने शुरू कर दिए हैं। अफगानिस्तान में मिशन खत्म करने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी तो पाकिस्तान ने चीन से नजदीकी बढ़ा ली। लेकिन ईरान और चीन पर दबाव बढ़ाने और जरूरत पड़ने पर सैन्य ऑपरेशन अंजाम देने की खास रणनीति के तहत ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को फिर अपने पाले में खींचने की कोशिशों में जुट गया है।

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    ट्रंप ने अफगानिस्तान में बगराम एयर बेस वापस पाने के लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। बगराम वापस मिलने में थोड़ी देर हो सकती है या मुश्किल हो सकती है, ये सोचकर ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान को पुचकार रहा है। शिकागो यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर पाल पोस्ट ने दावा किया है कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे दोस्ताना संबंध के पीछ एक खास मकसद काम कर रहा है। अमेरिका अपनी सैन्य पहुंच को विरोधियों के ज्यादा से ज्यादा करीब रखना चाहता है। अफगानिस्तान आपरेशन के दौर में पाकिस्तान पहले भी अमेरिका के लिए गेटवे का काम कर चुका है।

    रक्षा विभाग को दिया युद्ध विभाग का दर्जा

    प्रोफेसर पोस्ट ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने रक्षा विभाग को युद्ध विभाग का दर्जा भी खास वजह से दिया है। पोस्ट ने कहा कि इससे ये साफ किया गया है कि अमेरिकी सरकार जो कुछ भी करेगी, उसमें सैन्य मामले रणनीति के केंद्र में रहेंगे। इसका एक मतलब ये भी है कि ट्रंप प्रशासन सैन्य नीति को प्रमुखता देगा, जबकि विदेश नीति उसके बाद आएगी। इसी रणनीति के तहत ट्रंप ने अफगानिस्तान से बगराम वापस करने को कहा है। इसी सैन्य दृष्टिकोण के तहत पाकिस्तान को कूटनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि सैन्य समर्थक के तौर पर देखा जा रहा है, जो अमेरिका को अपनी सैन्य शक्ति प्रदर्शित करने के लिए एक रणनीतिक पहुंच बिंदु उपलब्ध कराएगा।

    प्रोफेसर पोस्ट ने कहा कि यही वजह है कि ट्रंप से मुलाकात करने केवल प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ही नहीं गए, बल्कि सेना प्रमुख असीम मुनीर भी साथ थे। हालांकि इस मुलाकात में क्या हासिल हुआ, इस पर अभी संशय है क्योंकि ट्रंप प्रशासन की तरफ से कोई तस्वीर या वीडियो जारी नहीं किया गया। ट्रंप की शरीफ और मुनीर से मुलाकात की तस्वीरें केवल पाकिस्तान की तरफ से जारी की गई हैं।

    ट्रंप को पसंद आता है टैरिफ मैन कहलाना

    प्रोफेसर पाल पोस्ट ने दावा किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लंबे समय तक टैरिफ नीति को अपनी केंद्रीय नीति टूल बना रखा है और खुद को टैरिफ मैन कहलाने में गर्व महसूस करते हैं। ऐसा वह अपने पहले कार्यकाल से ही करते आ रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीति समझ में आती है क्योंकि वह कुछ देशों को रूस से तेल खरीदता देखकर नापसंद करते हैं। यूक्रेन युद्ध के लिए ईंधन का काम कर रहे यूरोप, भारत और चीन उनके मकसद में रोड़ा अटका रहे हैं।

    प्रोफेसर पोस्ट ने कहा कि भारत रूस के सस्ते तेल का सबसे ज्यादा फायदा उठा रहा है। प्रोफेसर पोस्ट ने कहा कि भारत को मैं व्यावहारिक राजनीति के प्रतीक के तौर पर देख रहा हूं। भारत यूक्रेन युद्ध को उचित भी नहीं ठहरा रहा है, लेकिन सस्ते तेल का फायदा उठा रहा है। ट्रंप पुतिन के खिलाफ सभी को एकजुट करने पर तुले हैं। यूक्रेन युद्ध खत्म करने का जल्द कोई रास्ता नहीं निकला, तो ट्रंप रूस पर और भी कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं।

    (न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)

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