'कोई देश इस सच्चाई से बच नहीं सकता', H-1B वीजा पर जयशंकर ने इशारों में ट्रंप को सुनाया
विदेश मंत्री जयशंकर ने ग्लोबल वर्कफोर्स की वकालत करते हुए कहा कि कई देशों की स्थानीय आबादी अपनी श्रम जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती। उन्हें प्रवासी श्रमिकों पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने यह बात एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद कही है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा को लेकर दिए गए फैसले के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने इस पर टिपप्णी की है। जयशंकर ने कहा कि कई देशों की स्थानीय आबादी अपनी श्रम जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती और इसके लिए उन्हें प्रवासी श्रमिकों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
एस. जयशंकर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने ग्लोबल वर्कफोर्स की वकालत की और कहा कि इससे बचा नहीं जा सकता। जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल वर्कफोर्स को कहां रखा जाए, यह राजनीतिक बहस का विषय हो सकता है।
ग्लोबल वर्कफोर्स को बताया महत्वपूर्ण
जयशंकर ने कहा, 'अगर आप डिमांड और डेमोग्राफी को देखें, तो कई देशों में केवल नेशनल डेमोग्राफी से डिमांड पूरी नहीं हो सकती।' उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है और आप इससे बच नहीं सकते। उन्होंन आगे कहा, 'हम एक अधिक स्वीकार्य, आधुनिक, कुशल ग्लोबल वर्कफोर्स मॉडल कैसे बना सकते हैं, जो एक ग्लोबल वर्कप्लेस में वितरित हो?'
जयशंकर ने कहा, 'मुझे लगता है कि आज इंटरनेशनल इकोनॉमी के सामने यह एक बहुत बड़ा सवाल है। हम बहुत कम समय में टेक्नोलॉजी, ट्रेड, कनेक्टिविटी और वर्कप्लेस के मामले में अलग दुनिया में होंगे। आज के अस्थिर माहौल में बड़े देशों के लिए आत्मनिर्भर बनने की क्षमता बढ़ाना बहुत जरूरी है और भारत में इस पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है।'
एस. जयशंकर का बयान ऐसे समय में आया है, जब ट्रंप ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दी है। ट्रंप का दावा है कि बाहरी लोग इसके लिए अमेरिकियों की नौकरी खा रहे हैं। H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय हैं। अमेरिकी कंपनियों में भारतीयों की काफी डिमांड है। अमेरिकी की नामी टेक फर्म्स को भारतीय मूल के लोग ही लीड कर रहे हैं।
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