इमिग्रेशन एजेंट, बंदूकें और वीजा दिखाने की मांग.... डोनल्ड ट्रंप के एक फैसले ने शिकागो में मचा दिया हाहाकार
शिकागो में आप्रवासन अधिकारियों द्वारा वीजा और दस्तावेजों की मांग से अफरा-तफरी मची है। स्कूलों में लॉकडाउन है, रेस्टोरेंट प्रभावित हैं। गवर्नर ने एजेंसी पर डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। स्थानीय निवासियों का विरोध जारी है, आंसू गैस और स्मोक बम का इस्तेमाल हो रहा है। यह घटना संघीय शक्ति और स्थानीय विरोध के बीच एक परीक्षण साबित हो रही है।

शिकागो में इमिग्रेशन एजेंट पकड़कर रहे पूछताछ।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के शिकागो में इन दिनों इमिग्रेशन को लेकर अफरा-तफरी का माहौल है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दूसरे टर्म में इसको लेकर शहर के अंदर काफी बवाल हो रहा है।
पांच हफ्ते पहले इमिग्रेशन को लेकर जो कवायद शुरू की गई थी, वह हाल के दिनों में सबसे अराजक और बवाली ऑपरेशन में बदल गया है। शिकागो में पांच लाख विदेशी मूल के लोग रहते हैं और यहां पर इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (आईसीई) और बॉर्डर पेट्रोल एजेंट चर्च, स्कूल, अपार्टमेंट बिल्डिंग और यहां तक कि कब्रिस्तान के बाहर भी लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। इन लोगों के हाथों में बंदूकें होती हैं और वीजा दिखाने की मांग करते हैं।
हर एक को रोक कर हो रही पूछताछ
लोगों का कहना है कि अधिकारी बिना डॉक्यूमेंट वाले इमिग्रेंट्स और यूएस नागरिकों, दोनों को रोककर पूछताछ कर रहे और सबूत के तौर पर वीजा, पासपोर्ट या शहर में रहने के दस्तावेज मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं कानूनी तौर पर रहने की इजाजत पाने वाला अगर कागज लेकर नहीं चलता है तो उस पर 130 डॉलर का जुर्माना लगाया जा रहा है। अब इसका असर पूरे शहर में दिख रहा है।
स्कूलों में लॉकडाउन
कुछ स्कूलों ने सॉफ्ट लॉकडाउन का सहारा लिया है। जब कभी भी आस-पास फेडरल की गाड़ियां दिखती हैं या फिर एजेंट दिखते हैं तो स्टूडेंट्स को घर अंदर रखा जाता है। यहां तक कि रेस्टोरेंट वाले भी परेशान हैं। ये लोग किचन इमिग्रेंट लेबर पर निर्भर हैं और इन लोगों ने अपने काम के घंटे कम कर दिए हैं। पिछले महीने एक डे केयर सेंटर के बाहर हुई झड़प के दौरान ICE ऑफिसर्स ने एक व्यक्ति को गोली मार दी थी।
ट्रंप पर उल्टा पड़ता दांव
अगर ट्रंप का इरादा शहर को नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करना था तो इसका नतीजा उल्टा पड़ता दिख रहा है। स्थानीय निवासियों ने ICE ऑपरेशन का सक्रिय रूप से विरोध करना शुरू कर दिया है, भीड़ ने एजेंटों पर अंडे और दूसरी चीजें फेंकी हैं।
तो वहीं फेडरल सरकार का जवाब भी उतना ही जोरदार रहा है। अधिकारियों ने आंसू गैस, पेपर बॉल और स्मोक बम इस्तेमाल किए हैं। न सिर्फ प्रदर्शनकारियों पर बल्कि पत्रकारों और यहां तक कि शिकागो के पुलिस अधिकारियों पर भी जो गड़बड़ी पर कार्रवाई की गई। एजेंट्स ने उन राहगीरों पर भी बंदूकें तान दी हैं जो गिरफ्तारी को फिल्माने या रोकने की कोशिश कर रहे थे। बढ़ते टकराव ने सैंक्चुअरी सिटी की पॉलिसी की हदें दिखा दी हैं।
गवर्नर ने एजेंसी पर लगाया ये आरोप
गवर्नर प्रिट्जकर ने एजेंसी पर अफरा-तफरी मचाने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी है कि दूसरे शहरों को भी जल्द ही इसका सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "यह पब्लिक सेफ्टी के बारे में नहीं है।" "यह डराने-धमकाने के बारे में है।"
शिकागो में टकराव अब इस बात का टेस्ट केस है कि फेडरल पावर कितनी दूर तक पहुंच सकती है और लोकल विरोध इसे कितना धीमा कर सकता है।
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