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    अमेरिका पहली बार टॉप 10 पावरफुल पासपोर्ट की लिस्ट से बाहर, क्यों हुआ ऐसा?

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 07:30 PM (IST)

    हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की ताजा रैंकिंग में अमेरिका पहली बार दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट वाले देशों की सूची से बाहर हो गया है। इसका मुख्य कारण अमेरिकी पासपोर्ट की पहुंच अन्य देशों के मुकाबले कम होना है। सिंगापुर और कई यूरोपीय देश शीर्ष पर हैं, जिनके नागरिक बिना वीजा के अधिक देशों में यात्रा कर सकते हैं। अमेरिका की गिरती रैंकिंग चिंता का विषय है।

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    अमेरिकी पासपोर्ट (PIXABAY)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका पहली बार दुनिया के टॉप 10 पावरफुल पासपोर्ट की लिस्ट के बाहर हो गया है। ताजा हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, अमेरिकी पासपोर्ट अब दुनिया भर में 12वें नंबर पर है और मलेशिया के साथ संयुक्त रूप से दुनिया भर के 227 गंतव्यों में से 180 तक वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है।

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    हेनले पासपोर्ट इंडेक्स यह मापता है कि किसी देश के पासपोर्ट के साथ यात्री बिना वीजा के कितने देशों की यात्रा कर सकते हैं। पिछले साल, अमेरिका सातवें नंबर पर था और इस साल जुलाई में दसवें स्थान पर आ गया। वहीं 2014 में इस लिस्ट में टॉप पर था।

    हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में एशियाई देशों का दबदबा

    2025 की रैंकिंग में, तीन एशियाई देश लीडरबोर्ड में टॉप पर हैं। सिंगापुर 193 गंतव्यों तक वीजा-मुक्त पहुंच के साथ लिस्ट में सबसे ऊपर है, उसके बाद दक्षिण कोरिया 190 और जापान 189 गंतव्यों के साथ तीसरे नंबर पर है।

    हेनले एंड पार्टनर्स के अध्यक्ष और सूचकांक के निर्माता क्रिश्चियन एच कैलिन ने कहा, "पिछले एक दशक में अमेरिकी पासपोर्ट की घटती ताकत सिर्फ रैंकिंग में फेरबदल से कहीं ज्याद है। यह वैश्विक गतिशीलता और सॉफ्ट पावर की गतिशीलता में एक बुनियादी बदलाव का संकेत है।" उन्होंने आगे कहा, "जो देश खुलेपन और सहयोग को अपनाते हैं, वे आगे बढ़ रहे हैं, जबकि जो देश अतीत के विशेषाधिकारों पर टिके हुए हैं, वे पीछे छूट रहे हैं।"

    गिरावट क्यों?

    यह गिरावट कई बदलावों और पारस्परिकता की कमी से जुड़ी है। अप्रैल में, ब्राजील ने पारस्परिक व्यवहार की कमी के कारण अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के यात्रियों के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश वापस ले लिया था। इस बीच, चीन ने जर्मनी और फ्रांस जैसे दर्जनों यूरोपीय देशों के लिए प्रवेश नियमों में ढील दी है, लेकिन अमेरिका के लिए नहीं।

    पापुआ न्यू गिनी और म्यांमार सहित अन्य देशों ने अपनी नीतियों में ऐसे बदलाव किए हैं जिनसे अन्य देशों की रैंकिंग में तो सुधार हुआ है, लेकिन अमेरिका की रैंकिंग कमजोर हुई है। आखिरी झटका सोमालिया की नई ई-वीजा प्रणाली और वियतनाम द्वारा अमेरिका को अपने नए वीजा-मुक्त प्रवेश नियमों से बाहर रखने के फैसले से लगा।

    सख्त अमेरिकी यात्रा नीतियां भी जिम्मेदार

    रैंकिंग में यह गिरावट ट्रंप प्रशासन के दौरान शुरू की गई सख्त अमेरिकी इमिग्रेशन और यात्रा नीतियों के साथ भी मेल खाती है। हेनले एंड पार्टनर्स ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा कि पारस्परिकता रैंकिंग में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। जहां अमेरिकी 180 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश कर सकते हैं, वहीं अमेरिका स्वयं केवल 46 देशों के लोगों को वीजा-मुक्त प्रवेश देता है।

    2025 में दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट

    1. सिंगापुर - 193
    2. दक्षिण कोरिया - 190
    3. जापान - 189
    4. जर्मनी, इटली, लक्जमबर्ग, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड - 188
    5. ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फ़िनलैंड, फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड - 187
    6. ग्रीस, हंगरी, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्वीडन - 186
    7. ऑस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, माल्टा, पोलैंड - 185
    8. क्रोएशिया, एस्टोनिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, यूएई, यूके - 184
    9. कनाडा - 183
    10. लातविया, लिकटेंस्टीन - 182
    11. आइसलैंड, लिथुआनिया - 181
    12. अमेरिका, मलेशिया - 180

    इस बीच, हेनले पासपोर्ट इंडेक्स में भारत का स्थान गिरकर 85वें स्थान पर आ गया है, जहां वीजा-मुक्त 57 देशों तक वीजा-मुक्त पहुंच गया है। पिछले साल, भारत का पासपोर्ट 62 गंतव्यों के लिए वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा के साथ लिस्ट में 80वें स्थान पर था।

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