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    United Nations: अमेरिकी दूत ने रूस और चीन पर साधा निशाना, कहा- उत्तर कोरिया के उल्लंघन पर UN का बना मजाक

    संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने रूस और चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए शुक्रवार कहा कि UNSC के सदस्य प्योंगयांग के बार-बार उल्लंघन को सही ठहराते हैं।उन्होंने UN में सभी से इस मुद्दे पर एकसाथ आने की अपील की।

    By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 05 Nov 2022 06:10 AM (IST)
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    अमेरिकी दूत ने रूस और चीन पर साधा निशाना।

    वाशिंगटन, एएनआइ। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थामस ग्रीनफील्ड ने रूस और चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए शुक्रवार कहा कि UNSC के सदस्य प्योंगयांग के बार-बार उल्लंघन को सही ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में 59 मिसाइलों को लांच करने के बावजूद उत्तर कोरिया की रक्षा के लिए चीन और रूस चुप है। उन्होंने UN में सभी से इस मुद्दे पर एकसाथ आने की अपील की।

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    'उत्तर कोरिया के मुद्दे पर UN का बना मजाक'

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को संबोधित करते हुए ग्रीनफील्ड ने कहा, 'ये सदस्य उत्तर कोरिया के बार-बार उल्लंघन को सही ठहराने के लिए पीछे की ओर झुके हैं।' उन्होंने कहा कि इन सदस्यों ने उत्तर कोरिया को सक्षम किया है और इस परिषद का मजाक बना कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को इस परिषद के दो सदस्यो से पूरी सुरक्षा मिली है। हालांकि उन्होंने नाम लिए बिना ही चीन और रूस पर निशाना साधा।

    गुरुवार को भी उत्तर कोरिया ने दागी थी मिसाइल

    इससे पहले गुरुवार को खबर आई थी कि प्योंगयांग ने जापान सागर की ओर एक अज्ञात बैलिस्टिक मिसाइल दागी है। रिपोर्टों में कहा गया था कि मिसाइल को मध्यम या लंबी दूरी की मिसाइल माना जा रहा है। सीएनएन ने ग्रीनफील्ड के हवाले से कहा, 'संयुक्त राष्ट्र के सदस्य अपने फायदे के लिए सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुले तौर पर उल्लंघन करता है।' थामस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि इस मुद्दे पर परिषद की चुप्पी भी भयावह है।

    उत्तर कोरिया के खिलाफ 13 सदस्य आएं साथ

    अमेरिकी दूत ने कहा कि परिषद के 13 सदस्य उत्तर कोरिया की गैरकानूनी कार्रवाइयों की निंदा करने में शामिल हुए हैं। उत्तर कोरिया द्वारा मिसाइलों को लांच करने के बाद, अमेरिका ने कहा कि यह कार्रवाई उत्तर कोरिया के संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जिसका उद्देश्य देश को मिसाइल परीक्षण करने के लिए आवश्यक तकनीकों को प्राप्त करने से रोकना है।

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