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    Food Crisis: खाद्यान्‍न संकट के कारण 'तबाही' का सामना कर रही दुनिया, संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को लेकर किया आगाह

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jun 2022 07:37 PM (IST)

    संयुक्त राष्ट्र ने दिनों-दिन गहरा रहे खाद्य संकट को लेकर आगाह किया है। एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि दुनिया भर में खाद्यान्‍न संकट के कारण दुनिया तबाही का सामना कर रही है। गुटेरेस ने 2023 को लेकर भी चेतावनी दी है...

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    दुनियाभर में खाद्य संकट तेजी से गहरा रहा है।

    बर्लिन, एपी। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का कहना है कि दुनिया भर में खाद्यान्‍न संकट के कारण दुनिया 'तबाही' का सामना कर रही है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया पहले से ही जलवायु परिवर्तन, कोरोना महामारी और असमानता के चलते मुश्किलों से जूझ रही थी अब यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) ने इस 'अभूतपूर्व वैश्विक खाद्यान्‍न संकट' को और बढ़ाने का काम किया है।

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    गुटेरेस (Antonio Guterres) ने बर्लिन में जमा हुए अमीर और विकासशील देशों के अधिकारियों को एक वीडियो संदेश में कहा कि यह असल खतरा है कि इस दुनिया में 2022 में कई अकाल घोषित किए जाएंगे। यही नहीं साल 2023 और भी बुरा हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि दुनिया भर के किसान बढ़ती उर्वरक और ऊर्जा की कीमतों से निपटने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। ऐसे में एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में फसलों को भारी नुकसान होगा...

    गुटेरेस ने कहा कि दुनिया का कोई भी मुल्‍क ऐसी तबाही के आर्थिक दुष्‍परिणामों से अछूता नहीं रहेगा। इस संकट का गहरा सामाजिक असर होगा। इस साल भोजन तक पहुंच की समस्‍या अगले साल की भीषण वैश्विक खाद्य संकट का शक्‍ल अख्तियार कर सकती है। मौजूदा वक्‍त में संयुक्त राष्ट्र के वार्ताकार इस संकट को थामने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। वे ऐसे सौदे पर काम कर रहे हैं, जिससे यूक्रेन विभिन्न मार्गों का इस्‍तेमाल कर खाद्य निर्यात करने में सक्षम हो सके।

    गुटेरेस ने कहा कि वार्ताकार उस समाधान पर भी काम कर रहे हैं जिससे रूस बिना किसी प्रतिबंध के विश्व बाजारों में खाद्य और उर्वरकों की आपूर्ति कर सके। उन्होंने गरीब देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बचाए रखने के लिए ऋण राहतें जारी करने का भी आह्वान किया। सनद रहे इससे पहले विश्‍व बैंक भी ऐसे संकट को लेकर दुनिया को आगाह कर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध यदि लंबा खिंचा तो इसके नतीजे आर्थिक और सामाजिक स्‍तर पर घातक होंगे।