'दादा-दादी के लिए बनाए सिस्टम से पोते-पोतियों का भविष्य नहीं बना सकते' UN चीफ ने क्यों कहा ऐसा?
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ से पहले इसमें सुधार की सख्त जरूरत बताई है। भारत के इस सुझाव का संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी समर्थन किया है और कहा है कि दादा-दादी के लिए बनाई गई प्रणालियों के साथ अपने पोते-पोतियों के लिए उपयुक्त भविष्य नहीं बना सकते। साथ ही और भी कई अहम बातें उन्होंने कही।
पीटीआई, संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र अगले वर्ष 80वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है। इस बीच भारत ने जोर देकर कहा है कि वर्तमान और भविष्य की वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संगठन की प्रासंगिकता बने रहने के लिए इसमें सुधार की अत्यंत आवश्यकता है।
सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, 'हम अपने दादा-दादी के लिए बनाई गई प्रणालियों के साथ अपने पोते-पोतियों के लिए उपयुक्त भविष्य नहीं बना सकते। हमें यह देखने के लिए क्रिस्टल बाल की आवश्यकता नहीं है कि इस सदी की चुनौतियों के लिए समस्या-समाधान तंत्र की आवश्यकता है, जो अधिक प्रभावी और समावेशी हों।'
गंभीर मुद्दों की नहीं की गई थी कल्पना: गुटरेस
गुटेरेस ने कहा कि 80 साल पहले जब संयुक्त राष्ट्र का बहुपक्षीय ढांचा बनाया गया था, तब आज के कई गंभीर मुद्दों की कल्पना नहीं की गई थी। भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से चल रहे प्रयासों में सबसे आगे रहा है, जिसमें स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार भी शामिल है।
भारत का कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद इस सदी के उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है। यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती। भारत ने जोर देकर कहा कि वह सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट का सही मायने में हकदार है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत का संदेश था कि वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार आवश्यक है।
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