Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ट्रंप ने रूस-यूक्रेन को दिया अल्टीमेटम तो बदल गए जेलेंस्की के सुर, बोले- जल्द से जल्द चाहते हैं शांति

    यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि उनका देश जल्द से जल्द शांति चाहता है और इसके लिए वे अपने साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं। ट्रंप द्वारा दिए गए बयान के बाद जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वे रूस के साथ शांति के लिए कदम उठा रहे हैं। इस समय अमेरिका और रूस के बीच सऊदी अरब में वार्ता की तैयारी हो रही है।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Sat, 08 Mar 2025 08:34 PM (IST)
    Hero Image
    जलेंस्की ने कहा कि उनका देश अमेरिका समेत अपने साझेदरों के साथ निरंतर काम कर रहा है। (फाइल फोटो)

    एएनआई, कीव। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि उनका देश जल्द से जल्द शांति चाहता है। इसके लिए उनका देश अमेरिका समेत अपने साझेदरों के साथ निरंतर काम कर रहा है।

    जेलेंस्की का यह बयान ऐसे समय आया है, जब हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि जेलेंस्की ने उन्हें पत्र लिखकर बताया है कि उनका देश वार्ता की मेज पर आने और खनिजों एवं सुरक्षा संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है। जबकि ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वह यूक्रेन युद्ध के समाधान के लिए रूस पर प्रतिबंध और शुल्क लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जलेंस्की ने कहा- शांति चाहते हैं

    यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि रूस के साथ शांति के लिए अपने साझेदारों के साथ बहुत काम किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम उन साझेदारों के साथ काम कर रहे हैं, जो शांति चाहते हैं। हम आवश्यक कदमों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम यूरोप में अमेरिका के साथ और सऊदी अरब में एक बैठक की तैयारी कर रहे हैं।"

    बता दें कि यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और रूस के बीच पहले दौर की वार्ता सऊदी अरब में हुई थी। हालांकि इसमें यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया था। व्हाइट हाउस में पिछले सप्ताह ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई थी। इसके बाद ट्रंप ने यूक्रेन के लिए सभी अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी। इस कदम को यूक्रेन पर दबाव बनाने के रूप में देखा गया।

    यह भी पढ़ें: अमेरिका ने रोकी फंडिग, तो UN एजेंसियों की बिगड़ी हालत; कर्मचारियों की करनी पड़ रही छंटनी