अमेरिका ने रोकी फंडिग, तो UN एजेंसियों की बिगड़ी हालत; कर्मचारियों की करनी पड़ रही छंटनी
विदेशी सहायता निधि को रोकने के संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्णय के कारण संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को हजारों लोगों को नौकरी से निकालना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन को 2023 में अपने 3.4 अरब डॉलर के बजट का 40 प्रतिशत से अधिक अमेरिका से प्राप्त हुआ था। यूनएचसीआर को भी पिछले वर्ष के बजट का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अमेरिका से मिला था।
एपी, जिनेवा। विदेशी सहायता के लिए अमेरिकी फंडिंग पर रोक के कारण संयुक्त राष्ट्र संगठन की कई एजेंसियों को अफगानिस्तान, सूडान, यूक्रेन और अन्य स्थानों पर कर्मचारियों, बजट और सेवाओं में कटौती करनी पड़ी है।
महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अफगानिस्तान में 90 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाओं से वंचित रह जाएंगे। पिछले साल यूक्रेन में 10 लाख लोगों की मदद करने वाले नकद आवंटन को निलंबित कर दिया गया है।
बजट का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता था
- जिन एजेंसियों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने वाला है, उनमें संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय आदि शामिल हैं। यूनएचसीआर को पिछले वर्ष पांच अरब डॉलर के बजट का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अमेरिका से मिला था।
- अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन को 2023 में अपने 3.4 अरब डॉलर के बजट का 40 प्रतिशत से अधिक अमेरिका से प्राप्त हुआ था। ट्रंप प्रशासन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मामले में विशेष रूप से सख्त रहा है। उनके शुरुआती कार्यकारी आदेशों में से एक में अमेरिका को यूएन स्वास्थ्य एजेंसी से बाहर निकलने की घोषणा की गई थी।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वैश्विक खसरा और रूबेला प्रयोगशाला नेटवर्क ध्वस्त होने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि इसकी प्रति वर्ष लगभग 80 लाख डॉलर की सहायता पूरी तरह से अमेरिका द्वारा वित्तपोषित है।
खर्च के लिए डोज से अनुमोदन आवश्यक
पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि 50,000 डॉलर से अधिक के व्यय के लिए अब एलन मस्क के सरकारी दक्षता विभाग से अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सार्वजनिक सेवा ऋण माफी कार्यक्रम में भी परिवर्तन का आदेश दिया है। इसके तहत गैर-लाभकारी समूहों के उन कर्मचारियों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जो अनुचित गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। संसद ने 2007 में सरकारी या गैर-लाभकारी समूहों में करियर को प्रोत्साहित करने के लिए यह कार्यक्रम बनाया था।
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