वर्क परमिट, H-1B और ग्रीन कार्ड... ट्रंप ने दो महीनों में किए ये बड़े बदलाव; भारतीयों पर कितना पड़ा असर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने आव्रजन नीतियों में कई बदलाव किए हैं, जिनका सीधा असर भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर पड़ेगा। इनमें EAD ऑटो-नवीनीकरण को बंद करना, H-1B वीजा शुल्क बढ़ाना, और नागरिकता परीक्षण को और अधिक कठिन बनाना शामिल है। इन परिवर्तनों से भारतीयों के लिए अमेरिका में काम करना और बसना मुश्किल हो जाएगा।
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ट्रंप ने दो महीनों में किए ये बड़े बदलाव (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से इमीग्रेशन पर कई सख्त फैसले लिए जा रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि इन कदमों का मकसद अमेरिका कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है।
पिछले दो महीनों में ट्रंप प्रशासन ने तीन ऐसे बड़े फैसले किए हैं जिनका सीधा असर भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर पड़ेगा, जिसमें EAD ऑटो-रिन्यू बंद करना, H-1B वीजा फीस बढ़ाना और नागरिकता टेस्ट को कठिन बनाना शामिल है।
EADके ऑटोमेटिक रिन्यूअल पर रोक
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने 30 अक्टूबर से कुछ प्रवासियों के Employment Authorisation Document (EAD) की ऑटोमैटिक एक्सटेंशन प्रक्रिया अचानक बंद कर दी। अब अगर कोई प्रवासी EAD रिन्यूअल के लिए आवेदन करेगा तो उसे नया वेरिफिकेशन प्रोसेस झेलना होगा। पहले आवेदन के दौरान ऑटो एक्सटेंशन मिलने से लोग बिना रुकावट नौकरी जारी रख सकते थे।
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथी और F-1 स्टूडेंट्स (OPT पर काम करने वाले) भारतीयों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, अब रिन्यूअल में 7 से 10 महीने लग सकते हैं, जिससे कई लोगों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
H-1B वीजा की फीस अब 1 लाख डॉलर
19 सितंबर को अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर (करीब ₹88 लाख) कर दी। यह नियम उन नए आवेदनों पर लागू होगा जो 21 सितंबर 2025 या उसके बाद दाखिल किए गए और जिन उम्मीदवारों के पास पहले से वैध H-1B वीजा नहीं है। USCIS के अनुसार, यह फीस नियोक्ता (कंपनी) को भरनी होगी न कि वीजा आवेदक को।
H-1B वीजा धारकों में 70% से ज्यादा भारतीय हैं, इसलिए इसका असर सबसे ज्यादा भारतीय टेक प्रोफेशनल्स पर होगा। कई अमेरिकी कंपनियां जैसे वॉलमार्ट ने इस बढ़ी फीस के बाद H-1B वीजा वाले कर्मचारियों की नई भर्ती अस्थायी रूप से रोक दी है।
ग्रीन कार्ड धारकों के लिए नागरिकता टेस्ट हुआ कठिन
20 अक्टूबर 2025 से अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए नई सिविक्स टेस्ट प्रणाली लागू हो गई है। अब उम्मीदवारों को 128 सवालों में से 20 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें से कम से कम 12 सही जवाब देना अनिवार्य होगा। पहले केवल 10 सवालों में से 6 सही उत्तर देने होते थे। अगर कोई व्यक्ति दो बार टेस्ट में फेल हो जाता है तो उसकी नागरिकता का आवेदन खारिज कर दिया जाएगा।
साथ ही अब अधिकारियों को उम्मीदवार के अच्छे चरित्र का भी कड़ाई से मूल्यांकन करना होगा। 65 साल से अधिक उम्र के और 20 साल से स्थायी निवासी रहे लोगों को इस टेस्ट का आसान संस्करण मिलेगा। इसके अलावा, अब सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों, जिनमें ग्रीन कार्ड धारक भी शामिल हैं उनको देश में प्रवेश और निकास के समय फोटो खिंचवाना अनिवार्य होगा।
भारतीयों पर सीधा असर
पिछले वित्तीय वर्ष में 49,700 भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की, जो अमेरिकी नागरिक बनने वाले लोगों में दूसरा सबसे बड़ा समूह था। अब नई नीतियों के बाद, भारतीय प्रोफेशनल्स, छात्रों और ग्रीन कार्ड धारकों को अमेरिका में काम करने और बसने की प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाएगी।

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