ट्रंप का 'Peace Through Strengh' मॉडल, अमेरिकी राष्ट्रपति का अचानक दिखने लगा आक्रामक रूप; एशिया दौरे के दौरान क्यों बदला रुख?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'शांति के लिए ताकत' की नीति पर चल रहे हैं, पर उनका रुख आक्रामक होता दिख रहा है। एशिया दौरे के दौरान उन्होंने व्यापार और सैन्य कार्रवाईयों से जुड़े कई फैसले लिए। चीन के राष्ट्रपति से मिलने से पहले परमाणु परीक्षण पर विचार करने की बात कही। ईरान और वेनेजुएला में सैन्य कार्रवाइयों से जुड़े उनके दावों पर सवाल उठ रहे हैं, और विशेषज्ञों ने उन्हें 'अनंत युद्धों' के जाल में फंसने से बचने की चेतावनी दी है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति का अचानक दिखने लगा आक्रामक रूप (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर से 'शांति के लिए ताकत' (Peace Through Strength) की नीति पर जोर दिया है, यह वही विचार है जिसे पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सोवियत संघ को रोकने के लिए अपनाया था।
ट्रंप ने शपथ ग्रहण के वक्त कहा था कि उनका प्रशासन सफलताको सिर्फ जीत से नहीं, बल्कि उन जंगों से भी मापेगा जिन्हें वो खत्म करेगा या जिनसे वो बचेंगे। पर 9 महीने बीतते-बीतते ट्रंप की यह नीति अब धमकियों, बमबारी और सोशल मीडिया बयानबाजी में बदलती दिख रही है।
एशिया दौरे के दौरान बदा ट्रंप का रुख
हाल ही में एशिया यात्रा के दौरान ट्रंप ने अपनी नीति का नया रूप दिखाया। मलेशिया जाते वक्त उन्होंने सोशल मीडिया पर एलान किया कि अमेरिका, कनाडा के साथ व्यापार वार्ता रद कर रहा है और उसके उत्पादों पर 10% नया टैरिफ लगाया जाएगा।
यह कदम उस विज्ञापन के बाद आया जिसमें कनाडा ने रीगन का पुराना बयान दिखाया था, जिसमें रीगन ने टैरिफ की आलोचना की थी। उसी दौरान अमेरिकी नौसेना ने प्रशांत महासागर में ड्रग्स से जुड़ी नावों पर हमले किए और हजारों सैनिकों को वेनेजुएला के पास कैरेबियाई समुद्र में भेजा गया। यह लैटिन अमेरिका में पिछले 50 साल का सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य जमावड़ा बताया गया।
चिनफिंग से मुलाकात से पहले बदले ट्रंप?
ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात से पहले ट्वीट कर संकेत दिया कि वह अमेरिका के दशकों पुराने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध को खत्म करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, बाद में यह साफ नहीं हुआ कि वह असली परमाणु विस्फोट की बात कर रहे थे या सिर्फ परीक्षण प्रणालियों की।
पत्रकारोंसे उन्होंने कहा, "बहुत जल्द पता चल जाएगा।" इस बीच रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बस इतना कहा कि अमेरिका सबसे मजबूत परमाणु ताकत बनाए रखेगा ताकि शक्ति से शांति बरकार रहे।
ट्रंप के अचानक बदलते बयानों से कई बार नीति में भ्रम पैदा होता है। हाल ही में उन्होंने यूक्रेन को लेकर तीन अलग-अलग बयान दिए, पहले कहा कि उन्हें जमीन छोड़नी चाहिए फिर कहा कि वह सब वापस पा सकता है और अंत में का कि लड़ाई वहीं रुकनी चाहिए जहां अभी है।
ईरान और वेनेजुएला पर कार्रवाई
ट्रंप खुद को ‘शांतिदूत’ बताते हैं, जबकि उनका प्रशासन कई सैन्य कार्रवाइयों में व्यस्त है। उन्होंने दावा किया कि जून में उनके आदेश पर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी से ईरान का परमाणु कार्यक्रम तबाहहो गया।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी संगठन ने हाल ही में बताया कि ईरान के ठिकानों पर फिर से गतिविधियां शुरू हो गई हैं।वहीं वेनेजुएला में अमेरिकी हमलों से ड्रग माफिया को नुकसान हुआ है, पर विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि ट्रंप को 'अनंतयुद्धों' के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
विशेषज्ञों की चेतावनी
काटो इंस्टीट्यूट के जस्टिन लोगन के अनुसार, ट्रंप का तरीका तेज हमले और फिर समस्या के खत्म होने का दावाजैसा है, लेकिन वास्तविकता में ऐसी समस्याएं जल्दी नहीं सुलझतीं।उन्होंने कहा, “खतरा यह है कि हमें बाद में अहसास होगा कि इनमें से कोई समस्या वास्तव में खत्म नहीं हुई।”

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