ट्रंप की कम नहीं हो रही मुश्किलें, अब कोर्ट से लगा झटका; क्या है पूरा मामला?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को कोर्ट से एक और झटका लगा है। ओरेगन के एक संघीय न्यायाधीश ने प्रशासन को पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड तैनात करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। न्यायाधीश करिन इमरगुट ने कहा कि यह मामला तीन मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अंतर्संबंध से जुड़ा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को कोर्ट से एक और झटका लगा है। ओरेगन के एक संघीय न्यायाधीश ने प्रशासन को पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड तैनात करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। अमेरिकी जिला न्यायाधीश करिन इमरगुट ने मुकदमे में आगे की बहस लंबित रहने तक यह आदेश जारी किया है।
विपक्ष का कहना था कि यह तैनाती अमेरिकी संविधान के साथ-साथ उस संघीय कानून का भी उल्लंघन करेगी जो आम तौर पर घरेलू कानूनों को लागू करने के लिए सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है। इससे पहले, बोस्टन की संघीय अपील अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि ट्रंप प्रशासन देश में अवैध रूप से या अस्थायी रूप से रह रहे लोगों के पैदा हुए बच्चों की नागरिकता नहीं छीन सकता।
तीन मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अंतर्संबंध
इमरगुट ने लिखा कि यह मामला तीन मूलभूत लोकतांत्रिक सिद्धांतों के अंतर्संबंध से जुड़ा है। संघीय सरकार और राज्यों के बीच संबंध, सेना और घरेलू कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच संबंध और सरकार की कार्यपालिका, विधायी एवं न्यायिक शाखाओं के बीच शक्तियों का संतुलन। हम इन तीन संबंधों के संबंध में संविधान के आदेशों का पालन करते हैं या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिका में कानून के शासन के तहत रहने का क्या अर्थ है।
आम तौर पर राष्ट्रपति को उन परिस्थितियों में नेशनल गार्ड तैनात करने की शक्ति है जहां नियमित कानून प्रवर्तन बल अमेरिका के कानूनों का पालन करने में सक्षम नहीं होते हैं, लेकिन पोर्टलैंड में ऐसा नहीं हुआ है।
(समाचार एजेंसी एपी के इनपुट के साथ)
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