पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या से संबंधित तीन हजार फाइलें सार्वजनिक
कैनेडी की हत्या से 25 मिनट पहले ब्रिटिश अखबार के पास फोन आया था, जिसमें अमेरिकी मिनट्स में बड़ी खबर होने की बात कही गई।
वाशिंगटन, प्रेट्र। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या से संबंधित करीब तीन हजार फाइलों को सार्वजनिक करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। सेना और खुफिया संगठनों की कार्रवाई से संबंधित कुछ फाइलों को सार्वजनिक करने पर रोक जारी रहेगी। माना जा रहा है जिन फाइलों को रोका गया है, उनमें क्यूबा के तत्कालीन राष्ट्रपति फीदेल कास्त्रो की हत्या के सीआइए के प्रयासों को उजागर करने वाली सनसनीखेज सूचनाएं भी शामिल हैं। 180 दिनों की समीक्षा के बाद इन गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने पर विचार किया जाएगा।
अमेरिका की नेशनल आर्काइव्स ने बयान जारी कर कहा है कि ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति कैनेडी की 22 नवंबर, 1963 को हुई हत्या की जांच से संबंधित 2,891 फाइलों को सार्वजनिक करने की अनुमति दी है। डलास शहर में हुई इस हत्या से अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया सन्न रह गई थी। कैनेडी को गोली मारने वाले पूर्व मरीन कमांडो ली हार्वी ओसवाल्ड की भी दो दिन बाद संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी। दोनों हत्याओं के पीछे की साजिश को कोई नहीं जान पाया। जांच में अमेरिकी एजेंसियों की काफी मदद करने वाले मेक्सिको ने कैनेडी की हत्या की पूर्व सूचना सोवियत संघ और क्यूबा के दूतावासों को होने के सुबूत दिए थे। यह भी बताया था कि ओसवाल्ड ने मार्च में मेक्सिको की एक बैंक में पांच हजार डॉलर की धनराशि जमा की थी जो उस समय बहुत बड़ी रकम मानी जाती थी।
सीआइए ने जताया था राजनीतिक हत्या का शक
हत्या के लिए उस समय की अमेरिका की शक्तिशाली उद्योग लॉबी को जिम्मेदार ठहराया गया था लेकिन बाद में वह शक भी निर्मूल साबित हुआ। हत्या के बाद तत्कालीन सीआइए निदेशक ने हत्या की वजह राजनीतिक होने का शक जताया था। राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका की जनता यह जानने का हक रखती है कि उसके पूर्व राष्ट्रपति की हत्या के दोषी तक पहुंचने के लिए क्या-क्या किया गया।
कैनेडी की हत्या से 25 मिनट पहले आई थी ब्रिटिश अखबार के पास कॉल
कैनेडी की हत्या से 25 मिनट पहले ब्रिटिश अखबार के पास फोन आया था, जिसमें अमेरिकी मिनट्स में बड़ी खबर होने की बात कही गई। जो फाइलें मामले से जुड़ी हैं, उनमें एक मेमो भी है। 26 नवंबर 1963 को सीआइए ने एफबीआइ के निदेशक को यह भेजा था। इसमें कहा गया है कि 22 नवंबर को कैंब्रिज न्यूज के पास यह फोन आया था। कॉलर ने कहा कि रिपोर्टर को बड़ी खबर के लिए तुरंत लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास से संपर्क करना चाहिए। हालांकि कैंब्रिज न्यूज के मौजूदा रिपोर्टर अन्ना सावा का कहना है कि अखबार के पास अब ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है। उनका कहना है कि इसका भी पता नहीं है कि तब किस रिपोर्टर ने फोन सुना था।
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