Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अमेरिका के एक कानून से रातों-रात बढ़ी थी डॉलर की डिमांड, ये है दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी बनने की पूरी कहानी

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 03:04 PM (IST)

    डॉलर का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में सबसे विश्वसनीय मुद्रा के रूप में होता है। एक समय था जब अमेरिका भी चवन्नी का मोहताज था और उसकी अपनी कोई करेंसी नहीं थी। 17वीं शताब्दी में अमेरिका में स्पेन के सिल्वर डॉलर्स का इस्तेमाल होता था। 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते के बाद डॉलर वैश्विक करेंसी बना। 1971 में अमेरिका ने डॉलर के बदले सोना देने का कानून रद कर दिया।

    Hero Image
    अमेरिकी डॉलर का पूरा इतिहास। फोटो - जेएनएन

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डॉलर का इस्तेमाल अमूमन सभी देश करते हैं। खासकर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए अमेरिकी डॉलर को ही सबसे विश्वसनीय मुद्रा माना जाता है। मगर, क्या आपने कभी सोचा है कि डॉलर एक वैश्विक करेंसी कैसे बना? जब डॉलर नहीं था, तो लोग कैसे व्यापार करते थे? दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी के रूप में उभरने वाला डॉलर अगर ना हो, तो क्या होगा?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज डॉलर के बिना अंतरराष्ट्रीय व्यापार ठप पड़ सकता है। मगर, एक समय था जब अमेरिका भी चवन्नी का मोहताज था। अमेरिका की अपनी कोई करेंसी नहीं थी। मगर, डॉलर ने अमेरिका को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बना दिया।

    डॉलर से पहले किसका इस्तेमाल होता था?

    डॉलर की कहानी बेशक अमेरिका की आजादी के बाद शुरू हुई, लेकिन इससे पहले अमेरिका में स्पेन के सिल्वर डॉलर्स का इस्तेमाल किया जाता था। दरअसल 17वीं शताब्दी में अमेरिका पर ब्रिटेन का कब्जा था और ब्रिटिशर्स अपनी गुलामी की बेड़ियों में जकड़े देशों को करेंसी सप्लाई करने में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं रखते थे। ऐसे में स्पैनिश सिल्वर डॉलर ही अमेरिका की डी-फैक्टो करेंसी बन गया।

    'डॉलर' शब्द कहां से आया?

    डॉलर शब्द यूरोपीय भाषा के शब्द "थैलर" से निकला है। दरअसल उस समय यूरोप में चांदी के सिक्कों को थैलर कहा जाता था। 16वीं शताब्दी में सबसे पहले चेक गणराज्य ने थैलर यानी चांदी के सिक्के बनाए। यह शब्द यूरोप में फैला और अंग्रेज इसे थैलर की बजाए डॉलर कहने लगे।

    अमेरिका में डॉलर की एंट्री

    अमेरिका में पहले चांदी के सिक्कों से लेन-देन होता था। मगर, चांदी की कमी होने के कारण 1690 में सरकार ने पहली बार पेपर करेंसी शुरू की। वहीं, आजादी (American Revolution) के बाद 1785 में डॉलर को अमेरिका की आधिकारिक मुद्रा के रूप मिली। 1913 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक (Federal Reserve) की स्थापना हुई और 1914 से डॉलर की छपाई का काम फेडरल रिजर्व को सौंप दिया गया।

    डॉलर का प्रतीक "$" कैसे चुना गया?

    डॉलर का प्रतीक समय के साथ बदलता चला गया। अब डॉलर को "$" से दर्शाया जाता है। दरअसल स्पैनिश अमेरिकन कॉलोनी में लोग करेंसी को "पेसो" (Peso) कहते थे। यही वजह है कि डॉलर के प्रतीक को पेसो साइन भी कहा जाता है। पेसो को PS से दिखाया जाता था। समय के साथ दोनों को एक कर दिया गया और S के ऊपर P को लिखा जाने लगा। इसके बाद S पर एक लकीर खींचने ($) को ही पेसो साइन माना जाने लगा।

    डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी?

    अमेरिकी डॉलर के वैश्विक करेंसी बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। यह कहानी शुरू होती है 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते से। दूसरा विश्वयुद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका के न्यू हैंम्पशायर शहर के ब्रेटन वुड्स शहर में 44 देशों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए। इस दौरान अमेरिका ने सभी देशों को भरोसा दिलाया कि अगर वो सोने की बजाए डॉलर में व्यापार करें।

    डॉलर के बदले गोल्ड का कानून

    अमेरिका ने इसके लिए एक कानून पास किया, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति डॉलर लेकर बैंक में जाएगा तो उसे डॉलर के बदले सोना दिया जाएगा। दरअसल सोने में व्यापार करना व्यापारियों के लिए भी बड़ी चुनौती थी। सोने को करेंसी के रूप में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना काफी मुश्किल होता था। रास्ते में सोना लुटने का भी डर बना रहता था। ऐसे में सभी देशों को अमेरिका का सुझाव बेहतर लगा।

    ज्यादातर देशों ने अमेरिकी बैंकों में सोना जमा करके डॉलर ले लिया और डॉलर से व्यापार शुरू किया। उन्हें पूरा भरोसा था कि वो जब चाहें अमेरिकी बैंक को डॉलर देकर अपना गोल्ड वापस ले सकते हैं। इसी कड़ी में बड़े पैमाने पर अन्य देशों ने भी डॉलर का इस्तेमाल शुरू कर दिया।

    फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट लागू

    हालांकि, 1971 में अमेरिका ने डॉलर के बदले सोना देने का कानून रद कर दिया। इसके बाद अमेरिका में फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट शुरू हुआ, जिसका असर आज भी देखा जा सकता है। हर दिन डॉलर की कीमत बदलती रहती है, जिसकी तुलना अन्य देशों की करेंसी से की जाती है।

    यह भी पढ़ें- भारत पर उंगली उठाने वाले ट्रंप के चेले का झूठ पकड़ा गया, एलन मस्क के X ने कैसे खोली पोल?