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    कौन हैं मार्को रूबियो? ट्रंप कैबिनेट में पहली नियुक्ति, चीन और पाकिस्तान से नहीं बनती

    Updated: Tue, 21 Jan 2025 10:13 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में पहली नियुक्ति हो गई है। मार्को रूबियो ने अमेरिका के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ले ली है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें शपथ दिलाई है। रूबियो को भारत का समर्थक माना जाता है। हांग कांग का समर्थन करने के बाद उन्हें चीन ने बैन कर दिया था। अमेरिकी सीनेट ने रूबियो को विदेश मंत्री बनाने जाने की सर्वसम्मति से पुष्टि की।

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    उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने मार्को रूबियो को शपथ दिलाई (फोटो: रॉयटर्स)

    एपी, वाशिंगटन। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने मंगलवार को मार्को रूबियो को विदेश मंत्री के रूप में शपथ दिलाई। रूबियो ट्रंप के मंत्रिमंडल के पहले नामित सदस्य हैं जिनकी नियुक्ति की पुष्टि हुई है।

    वह अमेरिका के 72वें विदेश मंत्री हैं। रूबियो ने कहा कि ट्रंप की प्राथमिक प्राथमिकता अमेरिका के हितों को आगे बढ़ाने की होगी। सरकार और विदेश विभाग का हर कदम देश को मजबूत, सुरक्षित या अधिक समृद्ध बनाने वाला होना चाहिए।

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    सीनेट ने दी सहमति

    इससे पहले अमेरिकी सीनेट ने रूबियो को विदेश मंत्री बनाने जाने की सोमवार को सर्वसम्मति से पुष्टि की। सभी मौजूदा 99 सीनेटरों ने रूबियो के पक्ष में मतदान किया, जिनमें स्वयं रूबियो भी शामिल थे।

    मार्को रूबियो ने ली शपथ

    (फोटो: रॉयटर्स)

    उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के ओहियो से अमेरिकी सीनेटर के पद से इस्तीफा देने के बाद सीनेट में एक पद रिक्त है। वह फ्लोरिडा से रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर हैं। रूबियो भारत समर्थक माने जाते हैं।

    भारत समर्थक हैं रूबियो

    • उन्होंने पिछले साल सीनेटर के रूप में कांग्रेस में विधेयक पेश किया था, जिसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के संबंध में भारत के साथ जापान, इजरायल, दक्षिण कोरिया और नाटो सहयोगियों जैसे अपने सहयोगियों के साथ समान व्यवहार करने और भारत का समर्थन करने का प्रस्ताव दिया गया था।
    • विधेयक में यह भी मांग की गई है कि अगर पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद प्रायोजित करते पाया जाता है तो उसे सुरक्षा सहायता नहीं दी जाए। 53 वर्षीय रूबियो को चीन के प्रति सख्त और इजरायल के प्रति नरम रुख वाला माना जाता है।
    • हांगकांग में लोकतंत्र की मांग करने वाले आंदोलनकारियों के प्रति रूबियो के समर्थन को देखते हुए चीन ने 2020 में उन पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने विदेशी और खुफिया मामलों की संसदीय समितियों में लंबे समय तक कार्य किया है।

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