'दुनिया को ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत', अमेरिका में एस. जयशंकर ने क्यों कही ये बात?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि बदलती दुनिया को ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत है। उन्होंने ग्लोबल वर्कफोर्स के अधिक स्वीकार्य मॉडल के निर्माण का आह्वान किया। जयशंकर ने वैश्विक अनिश्चितता से निपटने के लिए आत्मनिर्भरता प्रौद्योगिकी बहुध्रुवीयता और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण देते हुए कहा कि यह अन्य देशों के लिए भी उपयोगी है। उ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि आज की बदलती दुनिया को ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत है। विभिन्न देश इस हकीकत को नकार नहीं सकते कि राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण कई देशों में ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग पूरी नहीं हो पाती।
उनकी यह टिप्पणी व्यापार और टैरिफ चुनौतियों के साथ-साथ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इमिग्रेशन पर सख्त रुख के बीच आई है, जिसमें एच-1बी वीजा पर 1,00,000 डॉलर का नया शुल्क शामिल है। इससे मुख्य रूप से भारतीय पेशेवर प्रभावित होंगे क्योंकि इस वीजा के अधिकांश लाभार्थी भारतीय होते हैं।
वैश्विक अनिश्चितता से निपटने के लिए गिनाए चार प्रमुख ट्रेंड्स
संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने ग्लोबल वर्कफोर्स के अधिक स्वीकार्य, समकालीन और कुशल मॉडल के निर्माण का आह्वान किया, जो फैले हुए वैश्विक कार्यस्थल पर स्थापित किया जा सके।
उन्होंने वैश्विक अनिश्चितता से निपटने के लिए चार प्रमुख ट्रेंड्स गिनाए- आत्मनिर्भरता, प्रौद्योगिकी अपनाना, बहुध्रुवीयता और दक्षिण-दक्षिण सहयोग। साथ ही कहा कि तमाम अनिश्चितताओं के बावजूद व्यापार कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेता है।
भारत के डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर का दिया उदाहरण
जयशंकर ने कहा कि बहुध्रुवीयता कोई ऐसी चीज नहीं है जो आसानी से घटित हो जाए, बल्कि इसे राष्ट्रीय क्षमताओं का निर्माण करके संभव बनाया जा सकता है। उन्होंने भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का उदाहरण देते हुए कहा, ''जब आप राष्ट्रीय क्षमताओं का निर्माण करते हैं और राष्ट्रीय अनुभव प्राप्त करते हैं, तो यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी होता है जो इससे जुड़ सकते हैं। कई अन्य समाज हैं जिन्होंने डीपीआई के भारतीय मॉडल को यूरोपीय या अमेरिकी मॉडल की तुलना में कहीं अधिक आत्मसात करने योग्य, प्रासंगिक और परिवर्तनशील पाया है।''
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का दिया संदर्भ
विदेश मंत्री ने कहा, लोगों को लगता है कि किसी का दूसरा और पहला कार्यकाल अलग होगा (ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का संदर्भ)। लेकिन हम देख रहे हैं कि कार्यकाल अलग हैं। समय अलग है। कुछ महीने फर्क लाते हैं। कुछ हफ्ते फर्क लाते हैं। वास्तव में, दुनिया के लिए इस स्तर के नीतिगत बदलावों से गुजरना, उनके व्यावहारिक प्रभाव को समझना और पूरी तरह से सुर्खियों में रहकर करना बड़ा अनुभव है।
उन्होंने कहा, 'पिछले तीन-चार वर्षों में दुनिया आपूर्ति श्रृंखलाओं और उत्पादन के स्त्रोतों को लेकर चिंतित थी। लेकिन अब हमें बाजार तक पहुंच की अनिश्चितता से भी खुद को बचाना होगा। इसलिए आप बाजारों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता को लेकर वैसे ही चिंतित हैं जैसे आप आपूर्ति या कनेक्टिविटी पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता को लेकर चिंतित हैं।''
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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