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    संयुक्त राष्ट्र में रूस ने अमेरिका के निंदा प्रस्ताव पर लगाया वीटो; भारत, चीन और ब्राजील मतदान से रहे गैरहाजिर

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Sat, 01 Oct 2022 06:47 AM (IST)

    क्रेमलिन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में पुतिन ने कहा कि लुहांस्क डोनेस्क खेरसान और जपोरीजिया क्षेत्र हमेशा के लिए हमारे देश का हिस्सा बन रहे हैं। रूस के इस कदम के खिलाफ अमेरिका और अल्बानिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव पेश किया।

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    अमेरिका के निंदा प्रस्ताव पर रूस का वीटो

    न्यूयॉर्क, एएफपी: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को यूक्रेन के जीते हुए चार क्षेत्रों को अपने देश में मिलाने के लिए संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही यूक्रेन के 15 प्रतिशत हिस्से पर अब रूस का नियंत्रण हो गया है। क्रेमलिन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में पुतिन ने कहा कि लुहांस्क, डोनेस्क, खेरसान और जपोरीजिया क्षेत्र हमेशा के लिए हमारे देश का हिस्सा बन रहे हैं। रूस के इस कदम के खिलाफ अमेरिका और अल्बानिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव पेश किया।

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    अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में पेश किया निंदा प्रस्ताव

    संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के प्रस्ताव को रूस ने वीटो कर दिया, जिससे यह निरस्त हो गया। भारत, चीन और ब्राजील मतदान से अनुपस्थित रहे। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में किसी दूसरे देश के क्षेत्रों को अपना हिस्सा बनाने की यह सबसे बड़ी घटना है। पुतिन के इस कदम पर पश्चिमी देश बुरी तरह भड़क उठे। अमेरिका ने पुतिन के सहयोगियों और अन्य अधिकारियों के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा की।

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    रूस के कदम का भारी विरोध

    नाटो महासचिव जेंस स्टाल्टनबर्ग ने कहा कि यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता के प्रति नाटो अपना समर्थन दोहराता है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और यूक्रेन की संप्रभुता का गंभीर उल्लंघन है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर वार्ता की और रूसी कदम को गैरकानूनी करार दिया।

    संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन

    संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया है। इसके जवाब में रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि गुटेरस पक्षपात पूर्ण रवैया अपना रहे हैं। वे दुष्प्रचार और दबाव का हिस्सा बन गए हैं। यह अस्वीकार्य है। एपी के अनुसार, यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों ने कहा कि वे इन क्षेत्रों में रूस द्वारा कराए गए जनमत संग्रह को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

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