श्रद्धालुओं की मदद से अमेरिका में 13 वर्ष में तैयार हुआ ऐतिहासिक अक्षरधाम, अक्षरवत्सल स्वामी ने बताईं खूबियां
अमेरिका के रॉबिन्सविले में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मंदिर के उद्घाटन में गिनती के दिन बचे हैं। जिसके तहत अब अक्षरधाम महोत्सव शुरू हो चुका है। अक्षरधाम महामंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को महंत स्वामी द्वारा किया जाएगा। न्यू जर्सी के रॉबिन्सविले में BAPS स्वामीनारायण अक्षरधाम का लोकार्पण होने वाला है। प्रमुख स्वामी महाराज के आशीर्वाद से प्लान बनाया गया और मंदिर की नींव रखी गयी थी।

जागरण न्यूज नेटवर्क, न्यू जर्सी। अमेरिका के रॉबिंसविले में दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मंदिर के उद्घाटन में गिनती के दिन बचे हैं। यहां अक्षरधाम महोत्सव शुरू हो चुका है। अक्षरधाम महामंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर को महंत स्वामी द्वारा किया जाएगा। मंदिर का निर्माण अमेरिकी राज्य न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में किया गया है। मंदिर की योजना प्रमुख स्वामी महाराज की देखरेख में बनाई गई थी। अक्षरवत्सल स्वामी ने रॉबिंसविले में दैनिक जागरण से खास बातचीत के दौरान अक्षरधाम मंदिर के बारे में काफी विस्तार से बताया।
कब बनकर तैयार हुआ अक्षरधाम मंदिर?
अक्षरधाम के आर्किटेक्चर का मांगलिक शिलान्यास समारोह 6 अक्टूबर, 2011 को आयोजित किया गया था। इसके बाद प्रमुख स्वामी ने 10 अगस्त, 2014 को मंदिर का शिलान्यास किया और यह 2023 में बनकर तैयार हुआ है। अंकोरवाट के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है।
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मंदिर की खासियतें:
- 183 एकड़ में फैले इस मंदिर और परिसर का निर्माण 12,500 भक्तों के सहयोग से किया गया है। ये सेवार्थी अमेरिका, कनाडा और भारत से आए थे।
- मंदिर के निर्माण में भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का समावेश किया गया है। मंदिर के पत्थरों पर प्राचीन हिंदू वास्तुकला के अनुसार नक्काशी की गई है।
- मंदिर में बनाई गईं 10 हजार मूर्तियां एवं प्रतिमाएं पूरे परिसर की शोभा बढ़ा रही हैं। इसमें प्राचीन भारतीय संगीत वाद्ययंत्र और नृत्य भी शामिल हैं।
- मंदिर में अक्षर पुरषोत्तम महाराज, भगवान स्वामीनारायण, गुणातीतानंद स्वामी, घनश्याम महाराज, हरिकृष्ण महाराज, राधा-कृष्ण की मूर्ति, शिव-पार्वती परिवार की मूर्ति और राम-सीता परिवार की मूर्ति स्थापित की गई है।
- यहां मुख्य मंदिर के साथ 12 छोटे मंदिर, 9 शिखर एवं 9 पिरामिड शिखर भी बनाए गए हैं।
कहां हुआ पत्थरों की नक्काशी का काम?
मंदिर के निर्माण में 2 मिलियन घन फीट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर निर्माण के लिए चूना पत्थर तुर्की से, संगमरमर ग्रीस और इटली से, ग्रेनाइट चीन और भारत से, सैंड स्टोन भारत एवं बुल्गारिया से मंगाए गए हैं। सभी पत्थरों को नक्काशी के लिए राजस्थान भेजा गया था। यहां ब्रह्म कुंड भी बनाया गया है, जिसमें भारत समेत दुनियाभर की पवित्र नदियों का जल सम्मिलित है।
વીડિયોઃ 12500 સેવાર્થીના સહયોગથી 13 વર્ષે તૈયાર થયું ઐતિહાસિક અક્ષરધામ, જાણો રોબિન્સવિલેમાં બનેલા મંદિરની ખાસિયતો
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Posted by Gujarati Jagran on Wednesday, 4 October 2023
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