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    अमेरिका में शटडाउन की वजह से रेडियो फ्री एशिया का ऑपरेशन बंद, फंड नहीं मिलने की वजह से लिया फैसला

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 11:47 AM (IST)

    रेडियो फ्री एशिया ने अमेरिकी सरकार के शटडाउन के कारण वित्तीय अनिश्चितता के चलते अपने संपादकीय कार्यों को बंद करने की घोषणा की है। फंड की कमी के कारण समाचार सामग्री का उत्पादन रोका जाएगा। सीईओ बे फैंग ने कहा कि सीमित संसाधनों को बचाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। विदेशी ब्यूरो भी बंद होंगे और कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जाएगा।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रेडियो फ्री एशिया ने बुधवार को कहा कि वह वित्तीय अनिश्चितता के बीच अपने संपादकीय ऑपरेशन को बंद कर रहा है क्योंकि अमेरिकी संघीय सरकार का शटडाउन को एक महीने हो चुके हैं।

    अमेरिकी सरकार की ओर से वित्त पोषित इस प्रसारणकर्ता ने कहा कि वह बंद और अपने नए वित्तीय वर्ष के लिए फंड हासिल करने में देरी के कारण शुक्रवार को न्यूज कंटेट का प्रोडक्शन बंद कर देगा।

    'कुछ नए कदम उठा रहे हैं...'

    आरएफए के सीईओ बे फैंग ने कहा, "अपने सीमित संसाधनों को संरक्षित करने और लगातार फंड उपलब्ध होने पर संचालन फिर से शुरू करने की संभावना को बनाए रखने के प्रयास में आरएफए अपने पहले से ही कम हुए दायरे को जिम्मेदारी से कम करने के लिए कुछ नए कदम उठा रहा है।"

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    उन्होंने आगे कहा कि लगभग 30 वर्षों में यह पहली बार है जब रेडियो फ्री एशिया इस तरह के कदम उठा रहा है। फैंग ने कहा कि रेडियो फ्री एशिया अपने विदेशी ब्यूरो भी बंद कर देगा, औपचारिक रूप से छुट्टी पर गए कर्मचारियों की छंटनी करेगा और उन कर्मचारियों को सेपरेशन भत्ता देगा।

    इस साल की शुरूआत में रोक दी फंडिंग

    इस साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की ओर से रेडियो फ्री एशिया और उसके सहयोगी प्रसारकों वॉयस ऑफ अमेरिका और रेडियो फ्री यूरोप के लिए फंडिंग बंद करने की घोषणा के बाद सैकड़ों आरएफए कर्मचारियों को अवैतनिक अवकाश पर भेज दिया गया था।

    अप्रैल में एक संघीय न्यायाधीश ने प्रशासन को सरकारी वित्त पोषित प्रसारकों के लिए फंडिंग बंद करने से रोक दिया था। रेडियो फ्री एशिया 1996 से पूरे एशिया में प्रसारण कर रहा है। एक्टिविस्ट का कहना है कि इसके बहुभाषी पत्रकार सत्तावादी देशों में विश्वसनीय समाचार मुहैया करते हैं और चीन के उइगर मुसलमानों जैसे उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं।

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