H-1B Visa: ट्रंप के फैसले की अमेरिका में हो रही आलोचना, विरोध शुरू; आइटी उद्योग पर होगा भयानक असर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी पर अमेरिका में ही विरोध शुरू हो गया है। अमेरिकी सांसदों और सामुदायिक नेताओं ने ट्रंप के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और बेमतलब बताया और कहा कि इससे आइटी उद्योग पर भयानक नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि तमाम एच-1बी वीजा धारक अमेरिका के नागरिक बने और ऐसे व्यापारों को लांच किया।

पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा शुल्क में बेतहाशा बढ़ोतरी पर अमेरिका में ही विरोध शुरू हो गया है। अमेरिकी सांसदों और सामुदायिक नेताओं ने ट्रंप के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और बेमतलब बताया और कहा कि इससे आइटी उद्योग पर भयानक नकारात्मक असर पड़ेगा।
अमेरिकी नेताओं ने कहा- कनाडा और यूरोप को होगा ट्रंप के फैसले का फायदा
सांसद राजा कृष्णामूर्ति ने कहा कि अमेरिका को उच्चकोटि के कुशल कामगारों से वंचित करने का ये लापरवाह प्रयास है, जिन्होंने हमारे कार्यबल को मजबूत किया, नवाचार को बढ़ावा दिया और ऐसे उद्योग खड़े करने में योगदान दिया, जो लाखों अमरीकियों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि तमाम एच-1बी वीजा धारक अमेरिका के नागरिक बने और ऐसे व्यापारों को लांच किया, जिससे अमेरिका में बढि़या वेतन वाली नौकरियां विकसित हुईं। एक तरफ जब अन्य देश वैश्विक प्रतिभा को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं, वहीं अमेरिका उलटा काम कर रहा है। ये हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रतिस्पर्धी बढ़त को झटका लगेगा
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के पूर्व सलाहकार और एशियाई-अमेरिकी समुदाय के नेता अजय भुटोरिया ने कहा कि ट्रंप के कदम से अमेरिका के तकनीक क्षेत्र की प्रतिस्पर्धी बढ़त को झटका लगेगा।
छोटी कंपनियां और स्टार्टअप्स होंगे बर्बाद
उन्होंने कहा कि 2000 से 5000 डॉलर में अंतरराष्ट्रीय कुशल कामगारों को नियुक्त करनेवाली छोटी कंपनियां और स्टार्टअप्स ट्रंप के फैसले से तबाह हो जाएंगी। भुटोरिया ने कहा कि ट्रंप के फैसले से कनाडा और यूरोप जैसे प्रतिस्पर्धियों को फायदा मिलेगा।
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा के खांडेराव कंद ने कहा कि एआइ और टैरिफ की वजह से पहले से संघर्ष कर रही साफ्टवेयर और टेक उद्योग पर भयानक नकारात्मक असर पड़ने का अंदेशा है।
लुटनिक ने एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाए जाने का स्वागत किया
न्यूयॉर्क टाइम्स की प्रोपर्टी इस्तेमाल करेंइनसेट- अमेरिकी वाणिज्य मंत्री लुटनिक ने कहा- अमेरिकियों को होगा फायदा न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाए जाने का स्वागत किया।
ल्यूटनिक ने दावा किया कि कंपनियां शुल्क को लेकर बहुत खुश हैं, क्योंकि वे एक ऐसी प्रक्रिया चाहती थीं जो स्पष्ट हो और तेजी से काम करता हो। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि कंपनियां हमारे देश के महान विश्वविद्यालयों के स्नातकों को प्रशिक्षित करें। हमारी नौकरियां छीनने के लिए बाहर से लोगों को लाना बंद करें।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था का दोहन कर रहे थे बाहरी लोग
उन्होंने कहा कि नए बदलाव से कठोर परिश्रम करनेवाले अमेरिकी नागरिकों को फायदा होगा। इससे अमेरिका में हकदारों की नौकरियां बाहरियों को देने की परंपरा पर रोक लग सकेगी। बाहर के लोग अमेरिकी अर्थव्यवस्था का दोहन कर रहे थे, जबकि उनसे किसी तरह का अर्थपूर्ण योगदान नहीं मिल पा रहा था।
ट्रंप के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर के तुरंत बाद लुटनिक ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि हम ये तय करने जा रहे हैं कि अमेरिका में ऐसे लोग आएं, जो देश और कंपनी के लिए बेशकीमती हों, नहीं तो उन्हें देश छोड़ना होगा।
नई आव्रजन नीति में इन बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया
नई आव्रजन नीति में इसी बिंदु को उभारा गया है कि कंपनियां अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दें और सुनिश्चित करें कि ये उच्चकोटि के लोग हों। उन्होंने कहा कि नई नीति से लोगों को मुफ्त में वीजा देकर अमेरिका आने देने की बकवास बंद होगी।
कर्मचारियों से लेकर भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यात तक पर पड़ेगा असर
ट्रंप प्रशासन का यह फैसला सबसे ज्यादा भारत को प्रभावित करने जा रहा है। ऐसे में एच-1बी वीजा को लेकर लागू नया नियम तकरीबन 200 अरब डालर के भारतीय साफ्टवेयर निर्यात पर भी उलटा असर डाल सकता है।
एच-1बी वीजा लेकर अमेरिकी कंपनियों (मेटा, गूगल, एमेजोन, माइक्रोसाफ्ट आदि) में सीधे तौर पर काम करने वाले भारतीयों या भारतीय साफ्टवेयर कंपनियों (इंफोसिस, एचसीएल, विप्रो आदि) में कार्यरत भारतीय आइटी इंजीनियरों के लिए भी अनिश्चतता पैदा हो गई है।
परोक्ष तौर पर असर होगा
इसके अलावा दर्जनों छोटी-बड़ी आइटी कंपनियां हैं जो अमेरिकी ग्राहकों को अपनी सेवाएं देती हैं। उन पर भी परोक्ष तौर पर असर होगा। यह आइटी सेक्टर में रोजगार की तलाश करने वाले भारतीय पेशेवरों के विकल्पों को सीमित कर सकता है।
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