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    Nasa Artemis Mission: नासा का मेगा मून रॉकेट क्रू मिशन के लिए तैयार, परफॉरमेंस के सभी टेस्ट किए पास

    By AgencyEdited By: Babli Kumari
    Updated: Sat, 28 Jan 2023 12:35 PM (IST)

    Nasa Artemis Mission प्रारंभिक पोस्ट-फ्लाइट डेटा ने संकेत दिया है कि सभी एसएलएस सिस्टम ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। इसके अलावा यह भी पता चला है कि डिजाइन आर्टेमिस II पर क्रू फ्लाइट का सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं।

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    नासा का मेगा मून रॉकेट क्रू मिशन के लिए तैयार (फाइल फोटो)

    वाशिंगटन, एजेंसी। नासा के मेगा मून रॉकेट ने प्रदर्शन के सभी टेस्ट पास कर लिए हैं। इंजीनियर अब पहले क्रू आर्टेमिस मिशन की तैयारी के लिए स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) के परफॉरमेंस पर करीब से नजर रख रहे हैं।

    एसएलएस प्रोग्राम मैनेजर जॉन हनीकट ने बताया कि नासा के एसएलएस रॉकेट ने अंतरिक्ष में आर्टेमिस जेनरेशन और स्पेसफ्लाइट के भविष्य की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि रॉकेट को सफलतापूर्वक बनाने और लॉन्च करने के लिए इंजीनियरिंग व कला की आवश्यकता होती है। एसएलएस रॉकेट की इनौगरल फ्लाइट पर विश्लेषण नासा व उसके भागीदारों को आर्टेमिस II जैसे शक्ति मिशनों के लिए अच्छी स्थिति में रखेगा।

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    सभी एसएलएस सिस्टम ने किया जबरदस्त प्रदर्शन

    प्रारंभिक पोस्ट-फ्लाइट डेटा ने संकेत दिया है कि सभी एसएलएस सिस्टम ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, यह भी पता चला है कि डिजाइन आर्टेमिस II पर क्रू फ्लाइट का सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं। नासा के एसएलएस रॉकेट के मुख्य चरण में 1,000 से अधिक सेंसर और 45 मील की केबलिंग है।

    आर्टेमिस I से मिली सीख

    वहीं, बूस्टर सेपरेशन जैसी घटनाओं के दौरान रॉकेट ने कैसा प्रदर्शन किया, इस पर वास्तविक डेटा हासिल करने का एकमात्र तरीका आर्टेमिस I उड़ान परीक्षण था। एसएलएस के चीफ इंजीनियर जॉन बिल्विन्स ने बताया कि हमें आर्टेमिस I से जो डेटा मिला है, वह इस रॉकेट में इंसानों को वापस चंद्रमा पर भेजने के लिए विश्वास पैदा करने में महत्वपूर्ण है।

    एसएलएस टीम रॉकेट के आगामी उड़ानों को बेहतर बनाने के लिए इस उड़ान परीक्षण से जो कुछ भी सीखी है, उसका उपयोग करेगी। हम पहले से ही संचालन और असेंबली के बारे में बहुत कुछ सीख चुके हैं। जिसे भविष्य के मिशनों को सुव्यवस्थित करने के लिए अप्लाई किया जा रहा है।

    कैमरों व सेंसर ने की टीम की मदद

    आर्टेमिस I को पिछले साल 16 नवंबर को लांच किया गया था। उसमें लगे कैमरे और सेंसर के जरिए टीमों को यह पता लगाने में मदद मिली कि रॉकेट ने अपने अंतरिक्ष युद्धाभ्यास के दौरान कैसा प्रदर्शन किया। वहीं, इंजीनियरों ने चरम तापमान पर भी नजर रखी और लिफ्टऑफ के ठीक बाद रॉकेट का अनुभव किया।

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