नासा के पहले स्टेरॉयड का नमूना धरती पर पहुंचा, सात साल की यात्रा पूरी कर यूटा में उतरा अंतरिक्ष कैप्सूल
नासा के पहले स्टेरॉयड के नमूनों के साथ एक अंतरिक्ष कैप्सूल को रविवार को यूटा रेगिस्तान में पैराशूट की मदद से उतारा गया। दरअसल अंतरिक्ष कैप्सूल चट्टानी सामग्रियों को लेकर यूटा में लैंड किया। यह किसी एस्टेरायड का धरती पर लाया जाने वाला पहला चट्टानी टुकड़ा है। पृथ्वी के पास से उड़ते हुए ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने कैप्सूल को 63000 मील दूर से छोड़ा।
वाशिंगटन, एपी। नासा के पहले स्टेरॉयड के नमूनों के साथ एक अंतरिक्ष कैप्सूल को रविवार को यूटा रेगिस्तान में पैराशूट की मदद से उतारा गया। दरअसल, अंतरिक्ष कैप्सूल चट्टानी सामग्रियों को लेकर यूटा में लैंड किया। यह किसी एस्टेरायड का धरती पर लाया जाने वाला पहला चट्टानी टुकड़ा है।
पृथ्वी के पास से उड़ते हुए ओसिरिस-रेक्स अंतरिक्ष यान ने कैप्सूल को 63,000 मील दूर से छोड़ा। कैप्सूल के चार घंटे बाद सेना के यूटा टेस्ट एंड ट्रेनिंग रेंज में पैराशूट से उतरने की उम्मीद थी।
विज्ञानियों को बेन्नू नामक स्टेरॉयड से कम से कम एक कप मलबा मिलने का अनुमान है। माना जा रहा है कि इन नमूनों की मदद से विज्ञानियों को बेहतर ढंग से यह समझने में मदद मिलेगी कि पृथ्वी और जीवन का निर्माण कैसे हुआ।
नासा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यह पैराशूट अमेरिकी सेना के टेस्ट एंड ट्रेनिंग रेंज की धरती पर आया।बता दें कि ओसीरिस-आरईएक्स मिशन पर नासा और एरिजोना यूनीवर्सिटी के विज्ञानियों ने मिलकर कार्य किया है।
कब शुरू हुआ था अभियान?
साल 2016 में ओसिरिस-आरएक्स ने उड़ान भरी थी, यह तकरीबन एक बिलियन डॉक्टर का मिशन है और दो साल बाद यह स्टेरॉयड बेन्नू पहुंचा। ओसिरिस-आरएक्स ने सबसे कठिन चुनौतियां का सामना करते हुए 2020 में स्टेरॉयड बेन्नू की सतह से चट्टानी टुकड़े (धूल और कंकड़) को एकत्रित किया और उसे लेकर पृथ्वी पर आया। अबतक ओसिरिस-आरएक्स ने 6.2 अरब किलोमीटर की यात्रा की।
वैसे इस तरह के मिशन पर जापान की स्पेस एजेंसी बीते 13 वर्षों से जुटी हुई है लेकिन उसे अभी तक सफलता हासिल नहीं हुई है।
कैसे धरती पर आए नमूने?
रिपोर्ट के मुताबिक, ओसिरिस-आरएक्स खुद धरती में नहीं आया, बल्कि एक कैप्सूल की मदद से स्टेरॉयड बेन्नू की सतह से एकत्रित किए गए नमूनों को यूटा में उतारा गया। ओसिरिस-आरएक्स अब पहले से ही निर्धारित एक और स्टेरॉयड को टारगेट कर रहा है।
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यूटा में रेज में एक अस्थायी कमरा तैयार किया गया है, जहां पर नमूनों को रखा जाएगा। इसके बाद नमूने को सोमवार को ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।
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