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    अंतरिक्ष स्टेशन मिशन पर जाएंगे अनिल मेनन, NASA ने नियुक्ति की घोषणा की

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 02 Jul 2025 06:59 AM (IST)

    नासा ने अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन को पहले अंतरिक्ष स्टेशन मिशन के लिए नियुक्त किया है। नासा ने इसकी जानकारी विज्ञप्ति जारी करके दी है। विज्ञप्ति के अनुसार अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपने पहले मिशन पर रवाना होंगे जिसमें वे फ्लाइट इंजीनियर और एक्सपीडिशन 75 के चालक दल के सदस्य के रूप में काम करेंगे।

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    अंतरिक्ष स्टेशन मिशन पर जाएंगे अनिल मेनन (फोटो- एक्स)

     एएनआई, नई दिल्ली। नासा ने अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन को पहले अंतरिक्ष स्टेशन मिशन के लिए नियुक्त किया है।

    नासा ने इसकी जानकारी विज्ञप्ति जारी करके दी है। विज्ञप्ति के अनुसार, अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपने पहले मिशन पर रवाना होंगे, जिसमें वे फ्लाइट इंजीनियर और एक्सपीडिशन 75 के चालक दल के सदस्य के रूप में काम करेंगे।

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    आठ महीने परिक्रमा प्रयोगशाला में बिताएंगे मेनन

    आगे नासा ने कहा कि मेनन जून 2026 में रोस्कोस्मोस सोयुज एमएस-29 अंतरिक्ष यान पर सवार होकर लॉन्च होंगे, उनके साथ रोस्कोस्मोस के अंतरिक्ष यात्री प्योत्र डबरोव और अन्ना किकिना भी होंगे। कजाकिस्तान के बैकोनूर कॉस्मोड्रोम से लॉन्च करने के बाद, तीनों लगभग आठ महीने परिक्रमा प्रयोगशाला में बिताएंगे।

    अंतरिक्ष में शुभांशु ने मांसपेशी कोशिकाओं पर किया शोध

    भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने सोमवार को आइएसएस पर मांसपेशियों, अंतरिक्ष में पाचन और अंतरिक्षयात्री के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई प्रयोग किए। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु इस समय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर हैं।

    मांसपेशी की शिथिलता के पीछे के कारणों की पहचान कर मांसपेशियों से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों के लिए इलाज खोजने में भी मदद मिल सकती है। इसके साथ ही लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ानों के दौरान अंतरिक्षयात्रियों को भी सहूलियत हो सकती है।

    जैसे ही कोई व्यक्ति अंतरिक्ष में जाता है तो होता है यह काम

    गौरतलब है कि अंतरिक्षयात्री अंतरिक्ष उड़ान के दौरान मांसपेशियों की कोशिकाओं के पुनर्जीवित होने की क्षमता खो देते हैं। जैसे ही कोई व्यक्ति अंतरिक्ष में जाता है, वहां गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण शरीर पर भार नहीं पड़ता। इसी वजह से मांसपेशियों में कमजोरी और गिरावट शुरू हो जाती है।

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