ट्रंप की धमकी के बाद एक्शन मोड में मेक्सिको, बॉर्डर पर तैनात किए 10 हजार गार्ड; घुसपैठियों पर रखेंगे नजर
डोनाल्ड ट्रंप ने 1 फरवरी को मेक्सिको कनाडा और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर टैरिफ लगाने संबंधी एक आदेश पर हस्ताक्षर किया था। हालांकि बाद में मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम से बातचीत के बाद एक महीने के लिए टैरिफ को टाल दिया गया था। अब मेक्सिको ने अपने वादे मुताबिक अवैध घुसपैठ रोकने के लिए अमेरिकी सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड की तैनाती की है।
मेक्सिको सिटी, एपी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ को लेकर कई देशों को चेतावनी दी गई है। मेक्सिको ने धमकियों के बाद अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए अमेरिकी सीमा पर 10,000 नेशनल गार्ड की तैनाती की है।
अमेरिका ने अपनी इस सीमा पर आपातकाल की घोषणा की है। अमेरिका ने कहा है कि बदले में वह कार्टेल हिंसा को बढ़ावा देने के लिए मेक्सिको में अमेरिकी बंदूकों की तस्करी को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करेगा।
अवैध प्रवेश पर लगेगी लगाम
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1,650 अधिकारियों को स्यूदाद जुआरेज भेजे जाने की उम्मीद थी। हालांकि 10 हजार जवानों के बाद यह सीमा सुदृढीकरण के सबसे बड़े प्राप्तकर्ताओं में से एक बन गया।
मेक्सिकन सरकार के एक बयान के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की लैटिन अमेरिका यात्रा के दौरान शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने मेक्सिकन सरकार को धन्यवाद दिया।
ट्रंप ने लगाया था टैरिफ
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने 1 फरवरी को मेक्सिको, कनाडा और चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर टैरिफ लगाने संबंधी एक आदेश पर हस्ताक्षर किया था। इसके तुरंत बाद जवाबी कार्रवाई में कनाडा ने भी अमेरिका के सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।
हालांकि बाद में डोनाल्ड ट्रंप की मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से चर्चा हुई और दोनों देशों के सीमा को सुरक्षित बनाने के वादे के बाद ट्रंप ने एक महीने के लिए टैरिफ को टाल दिया। तब मेक्सिको ने सीमा पर 10 हजार गार्ड की तैनाती का वादा किया था।
चीन ने जताया था विरोध
- चीन की सरकार ने ट्रंप प्रशासन द्वारा चीनी आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की निंदा की थी। चीन के वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों ने कहा था कि वह राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को विश्व व्यापार संगठन में चुनौती देंगे।
- दरअसल ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में इन देशों पर शुल्क लगाने की बात कही थी। इस दिशा में कदम उठाकर उन्होंने अपना एक वादा तो पूरा कर दिया है, लेकिन इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल होने की आशंका है।
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