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    Jimmy Carter: 25 पोते-परपोते, भारत में उनके नाम पर गांव की दिलचस्प कहानी; अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति का निधन

    Jimmy Carter Death अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार रात निधन हो गया। वो अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति और भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता राजनेता और मानवतावादी को खो दिया है।

    By Agency Edited By: Mahen Khanna Updated: Mon, 30 Dec 2024 10:06 AM (IST)
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    Jimmy Carter Death जिमी कार्टर से जुड़ी खास बातें।

    पीटीआई, वाशिंगटन। अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति जिमी कार्टर (Jimmy Carter) का रविवार रात निधन हो गया। वो अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति और भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे। 100 साल की उम्र वाले कार्टर 1977 में आर फोर्ड को हराकर राष्ट्रपति बने थे।  

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    जिमी जॉर्जिया के प्लेन्स में अपने घर पर परिवार के साथ रहते थे, जहां उनका निधन हुआ। 

    बाइडन बोले- दुनिया ने असाधारण नेता खो दिया

    वह अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा, "आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी को खो दिया है।" 

    जिमी के थे 25 पोते-परपोते

    बता दें कि कार्टर के परिवार में उनके बच्चे जैक, चिप, जेफ और एमी के साथ 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं। उनकी पत्नी रोजलिन और एक पोते का निधन उनसे पहले हो चुका है। 

    कल्याणकारी काम करने से जाने जाते थे कार्टर 

    राष्ट्रपति का पद छोड़ने के एक साल बाद उन्होंने 'कार्टर सेंटर' नाम के एक चैरिटी की स्थापना की थी। इस चैरिटी ने चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों का समर्थन करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने जैसी महत्व भूमिका निभाई।

    भारत में जिमी के नाम पर है गांव

    • कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे दक्षिण-पश्चिम में स्थित दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे।
    • वे भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे और देश से व्यक्तिगत रूप से जुड़े एकमात्र राष्ट्रपति थे। उनकी मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में यहां काम किया था।
    • यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के निवासियों ने इस क्षेत्र का नाम उनके नाम पर 'कार्टरपुरी' रख दिया था।
    • जब कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता तो गांव में जश्न मनाया गया और 3 जनवरी को छुट्टी घोषित की गई।

    बेटे चिप कार्टर ने क्या कहा?

    जिमी के बेटे चिप कार्टर ने कहा कि मेरे पिता एक नायक थे, न केवल मेरे लिए बल्कि उन सभी के लिए जो शांति, मानवाधिकारों और निःस्वार्थ प्रेम में विश्वास करते हैं। जिस तरह से उन्होंने लोगों को एक साथ लाया, उसके कारण दुनिया हमारा परिवार है और हम इन साझा मान्यताओं को जारी रखते हुए उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए आपका धन्यवाद करते हैं।