Israel-Iran Conflict में अमेरिका को झोंक देंगे डोनाल्ड ट्रंप, खुद की पार्टी के नेता क्या दे रहा सलाह?
पश्चिमी एशिया में ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है जिससे खुली जंग की स्थिति बन गई है। यूक्रेन युद्ध से दूर रहने की कोशिश कर रहा अमेरिका भी अब इस संघर्ष में शामिल हो रहा है। इजरायल ने तेहरान पर हवाई हमले किए हैं जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प इजरायल के साथ खड़े हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिमी एशिया में एक बार फिर जंग की जद में है। ईरान और इजरायल के बीच हालिया तनाव अब खुली जंग में तब्दील हो चुकी है। इस बीच, यूक्रेन की जंग से खुद को अलग करने की कोशिश में लगा अमेरिका भी अब इस आग में खिंचता चला जा रहा है।
इजरायल ने तेहरान पर हवाई हमले किए, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले तो ईरान के परमाणु मुद्दे के लिए सुलह की बात की थी, लेकिन इजरायल के हमले ने सब गुड़-गोबर कर दिया। अब अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है, लेकिन क्या वह इस जंग में पूरी तरह कूदेगा?
ट्रंप की पार्टी के नेता दे रहे इजरायल का साथ
रिपब्लिकन लीडर माइक जॉनसन ने कहा कि इजरायल का कदम सही है और उसे अपनी हिफाजत का हक है। सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने 13 जून को बयान दिया कि अगर सुलह की कोशिशें नाकाम हुईं, तो अमेरिका को इजरायल की हर मुमकिन मदद करनी चाहिए।
इजरायल, ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने की जुगत में है और चाहता है कि अमेरिका अपनी ताकतवर जंगी जहाज इस मिशन में शामिल करे। लेकिन ट्रम्प अभी दुविधा में हैं कि क्या जंग को खत्म करें या अमेरिका को एक नई लंबी लड़ाई में झोंक दें?
हालांकि बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन-रूस जंग में अमेरिका को झोंकने के लिए जो बाइडेन प्रशासन की आलोचना की थी।
अमेरिकी कर रहा गुपचुप मदद
अमेरिका अभी पर्दे के पीछे से इजरायल की मदद कर रहा है। उसकी फौजी वायु रक्षा प्रणाली ने इजरायल को ईरानी हमलों से बचाया। 13 जून को अमेरिकी जंगी जहाज ने ईरानी मिसाइलों को मार गिराया। अमेरिका का सेंट्रल कमांड (सेंटकॉम) शायद ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों की निगरानी में इजरायल की मदद कर रहा है। लेकिन, अमेरिका अभी पूरी जंग के लिए तैयार नहीं।
मई में उसने अपने दो विमानवाहक जहाज़ों में से एक को इलाके से हटा लिया था। डिएगो गार्सिया में तैनात स्टील्थ बी-2 बमबार जहाज़ों को भी पुराने बी-52 से बदल दिया गया था। ईरान के साथ बातचीत के रास्ते भी अब बंद होते दिख रहे हैं।
ईरान को कैसे लगा इतना बड़ा झटका?
14 जून की एक ख़बर के मुताबिक, एक ईरानी अफसर ने अमेरिका-ईरान बातचीत को बेमानी करार दिया। इस बीच, अमेरिका ने वियतनाम जा रहे अपने एक जंगी जहाज को पश्चिमी एशिया भेजने का फैसला किया।
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक, ईरान को यकीन था कि 15 जून को ओमान में होने वाली बातचीत से पहले इजरायल हमला नहीं करेगा। इस यकीन में ईरानी फौज ने अपनी सुरक्षा इंतजाम नजरअंदाज कर दिया। नतीजा यह हुआ कि इजरायल ने तेहरान के फौजी अड्डे पर जबरदस्त हमला किया, जिसमें रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के बड़े अफसर जनरल आमिर अली हाजीजादे समेत कई लोग मारे गए।
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