भारत-अमेरिका के बीच बड़ी डील? जयशंकर और रुबियो ने सुलझा लिया टैरिफ का मामला, जल्द मिलेगी गुड न्यूज
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने की वार्ता अंतिम चरण में है। विदेश मंत्री जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की मुलाकात सकारात्मक रही। अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 50% शुल्क लगाने के बाद यह पहली मुलाकात थी। भारत, अमेरिका के साथ शुल्क विवाद को खत्म करने का इच्छुक है क्योंकि अमेरिका ने भारत के प्रतिस्पर्धी देशों के साथ समझौता किया है।
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जयशंकर और रुबियो ने सुलझा लिया टैरिफ का मामला (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी मुद्दों को सुलझाने को लेकर चल रही वार्ता के अहम चरण में पहुंचने के संकेत हैं। भारत भी अमेरिका के साथ शीघ्र समझौता कर शुल्क विवाद का पटाक्षेप करने को उत्सुक है।
एक वजह पिछले दो दिनों के भीतर अमेरिका का एक साथ भारतीय निर्यात के लिए सबसे ज्यादा प्रतिस्पर्द्धी देशों मलेशिया, थाइलैंड, कंबोडिया व विएतनाम के साथ किया गया समझौता भी है।
जयशंकर और रुबियो की मुलाकात के मायने
इस बीच सोमवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के बीच मलेशिया में चल रही आसियान सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई है। इसमें द्विपक्षीय हितों से जुड़े सभी मुद्दों पात बात होने के बारे में जानकारी दी गई है।
यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका की तरफ से भारतीय आयात पर 50 फीसद का शुल्क लगाने के बाद जयशंकर और रूबियो के बीच यह पहली मुलाकात है। दोनों तरफ से इस मुलाकात को सकारात्मक बताया गया है।
भारत ने क्या स्वीकार किया?
जयशंकर और रूबियो की इस मुलाकात कारोबारी मुद्दों को लेकर दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई तीन दिनों तक चली बैठक के कुछ ही दिनों बाद हुई है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई वार्ता के बाद अमेरिका का रुख बदला हुआ है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार कह रहे हैं कि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद कम करनी शुरू कर दी है। भारत की तरफ से भी इस बात को परोक्ष तौर पर स्वीकार किया गया है। भारतीय अधिकारियों ने भी संकेत दिए हैं कि अमेरिका के साथ कारोबारी समझौते को अंतिम रूप देने में अब ज्यादा विलंब करना ठीक नहीं होगा।
पिछले दो दिनों के भीतर मलेशिया में आसियान बैठक के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी सरकार ने विएतनाम, मलेशिया, कंबोडिया और थाइलैंड के साथ कारोबारी समझौते पर हस्ताक्षर किया है। ये सारे देश वैश्विक कारोबार में भारत के प्रमुख प्रतिस्पर्द्धी देश हैं।
भारत को कितना देना होगा शुल्क?
भारतीय उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है और वहां उक्त चारों देशों के उत्पादों के साथ भारतीय निर्यातकों को कड़ी प्रतिस्पर्धता करनी पड़ती है। समझौता होने के बाद इन सभी देशों को अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को बेचने के लिए भारत से काफी कम शुल्क देना पड़ेगा।
अमेरिका ने भारतीय आयात पर 50 फीसद का शुल्क लगाया हुआ है। ऐसे में जितनी देरी होगी, भारतीय निर्यातकों को उतना ही नुकसान उठाना पड़ सकता है। रुबियो से मुलाकात के बाद जयशंकर ने कहा है कि आज सुबह विदेश सचिव रुबियो से मुलाकात हुई। हमने द्विपक्षीय मुद्दों के साथ ही क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात की।

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