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    असम में अगले साल विधानसभा चुनाव, लेकिन वहां SIR की नहीं हुई घोषणा; चुनाव आयोग ने बताई वजह

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 06:44 PM (IST)

    चुनाव आयोग ने बिहार में एसआईआर के बाद देश के अन्य राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की घोषणा की है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं। असम में 2026 में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन वहां एसआईआर की घोषणा नहीं हुई क्योंकि असम के नागरिकता नियम अन्य राज्यों से अलग हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि असम के लिए अलग से आदेश जारी किए जाएंगे।

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    असम, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं (फोटो: पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव आयोग में बिहार में एसआईआर के सकुशल संपन्न होने के बाद देशभर में मतदाता सूची पुनरीक्षण के दूसरे चरण का एलान कर दिया है। जिन 12 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में चुनाव आयोग ने एसआईआर कराने का फैसला किया है, उसमें से दो राज्य पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु ऐसे हैं, जहां अगले साल चुनाव होने हैं।

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    वैसे अगले साल चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाला एक और राज्य है, लेकिन इसका नाम एसआईआर वाले राज्यों की लिस्ट में नहीं है। ये राज्य असम है। असम में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन फिर भी यहां एसआईआर कराने की घोषणा क्यों नहीं की गई, इसकी वजह मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताई है।

    असम के नियम आए आड़े

    मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे जाने के बाद बताया कि असम के लिए नागरिकता नियम देश के दूसरे हिस्सों से अलग हैं। उन्होंने कहा कि असम के लिए अलग से रिवीजन ऑर्डर्स जारी किए जाएंगे और वहां एसआईआर के लिए अलग तारीख की घोषणा की जाएगी।

    बता दें कि असम बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ राज्य है। यहां नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए के तहत विशिष्ट नागरिकता नियम हैं। इस नियम के तहत 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच बांग्लादेश से असम में आए लोगों को छूट मिलती है।

    क्या हैं असम में नागरिकता के नियम?

    1971 के पहले बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से कई लोग असम पहुंचे थे। इसलिए नियम कहते हैं कि जो व्यक्ति 1 जनवरी 1966 से पहले भारत की सीमा में प्रवेश कर गया था, उसे भारत का नागरिक माना जाएगा। वहीं 1966 से 1971 के बीच भारत आने वाले लोगों को उचित पंजीकरण प्रक्रिया के बाद नागरिकता मिलती है।

    लेकिन 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अवैध प्रवासी माना जाता है और उसे नागरिकता नहीं मिलती। ये निर्णय स्थानीय स्तर पर एक विशेष रूप से गठित विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा लिए जाते हैं। बता दें कि असम में कुछ साल पहले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सूची तैयार करने का प्रोसेस शुरू हुआ था, जिस पर काफी विवाद हुआ था।

    दावा था कि इस सूची के बनने के बाद असम में बसे अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा, लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर हंगामा शुरू कर दिया था। हालांकि यह प्रक्रिया अभी भी अधूरी है क्योंकि केंद्र ने अभी तक उस सूची को अधिसूचित नहीं किया है।

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