बदल गए ट्रंप के सुर! एक्सपर्ट्स बोले- भारत की विदेश नीति को समझ नहीं पाए अमेरिकी राष्ट्रपति
भारत और अमेरिका के संबंधों में सुधार की संभावना दिख रही है खासकर पीएम मोदी के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के ट्वीट के बाद। अमेरिकी मीडिया में टैरिफ नीतियों की आलोचना के कारण ट्रंप पर दबाव था। पूर्व राजनयिकों के अनुसार ट्रंप भारत की विदेश नीति को ठीक से समझ नहीं पाए जो रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है। भारत सभी देशों के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है।

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। महीनों की उथल पुथल के बाद भारत और अमेरिका के बीच कड़वे हुए संबंधों में सुधार की गुंजाइश नजर आने लगी है। पीएम नरेन्द्र मोदी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट ने माहौल बदलने की आहट दे दी है। ये अनायास नहीं है। भारत पर थोपे टैरिफ की वजह से अमेरिकी मीडिया और सियासी गलियारे में ट्रंप की नीतियों की काफी भर्त्सना होने लगी थी।
ट्रंप पर बढ़े दबाव को उनके व्यवहार में बदलाव के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। भारत के पूर्व राजनयिकों का मानना है कि ट्रंप भारत की विदेश नीति को समझ नहीं पाए। भारत ने हमेशा से रणनीतिक स्वायत्तता के सामरिक सिद्धांत का पालन किया है। इसमें गुण-दोष के आधार पर संबंध तय किए जाते हैं और किसी एक से संबंध बढ़ाने के लिए दूसरे से दुश्मनी नहीं की जाती। भारत के लिए हर रिश्ते की अपनी अहमियत है।
भारत की विदेश नीति को समझ नहीं पाए ट्रंप- वीणा सीकरी
एएनआइ के मुताबिक, पूर्व भारतीय राजनयिक वीणा सीकरी ने संतुलित प्रतिक्रिया में कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों को ट्रंप बहुत खास मानते हैं। ट्रंप, दरअसल, भारत की लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक स्वायत्तता की नीति को समझ नहीं पाए, जो देश की गहन विदेश नीति रही है। सीकरी ने कहा कि भारत रूस या चीन के साथ संबंध अमेरिका की कीमत पर तय नहीं करता है। उन्होंने कहा कि मैं बस इतना ही कहूंगी कि पिछले दिनों का ट्रंप का बयान कि हमें लगता है कि हमने भारत को खो दिया है, ये उनकी हताशा दिखाता है।
सीकरी ने कहा कि अमेरिका को मल्टीपोलर डिप्लोमेसी के प्रति ज्यादा सहज होना चाहिए और पुतिन व शी के साथ मोदी की तस्वीरों से विचलित नहीं होना चाहिए। इसे भारत के संतुलित और व्यावहारिक नजरिये के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब द्विपक्षीय बातचीत होगी तो गलतफहमी खुद ब खुद दूर हो जाएगी।
ट्रंप के भारत के प्रति नरम हुए रवैये का स्वागत- जावेद अशरफ
फ्रांस और मोनाको में भारत के राजदूत रहे जावेद अशरफ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति नरम हुए रवैये का स्वागत किया है। आइएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब तक ट्रंप, उनके कैबिनेट सहयोगी और सलाहकारों ने भारत के लिए लगभग रोज कड़वी भाषा का प्रयोग किया। लेकिन पीएम मोदी पर टिप्पणियों को लेकर ट्रंप हमेशा सावधान रहे और संयम बनाए रखा। आक्रामक तेवर और सख्त भाषा प्रयोग के दौरान भी ट्रंप ने पीएम मोदी को हमेशा खास बताया। पीएम मोदी से संबंधों को लेकर उन्होंने अच्छी बात कही और हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। मुझे लगता है कि ये सकारात्मक घटनाक्रम है।
ट्रंप अपने आप में विरोधाभासी रहे- केपी फैबियन
पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने ट्रंप की टिप्पणी पर पीएम नरेन्द्र मोदी की प्रतिक्रिया को कूटनीतिक तौर पर काफी सधा हुआ बताया है। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने सर्वश्रेष्ठ तरीके से जवाब दिया है। हालांकि दो ट्वीट से बहुत बदलाव देखने को नहीं मिलेगा क्योंकि ट्रंप अपने आप में विरोधाभासी रहे हैं। पहले उन्होंने कहा कि उन्होंने भारत को चीन के हाथों गंवा दिया है। अब वह कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ भी नहीं गंवाया है। फैबियन ने कहा कि भारत की ये प्रवृत्ति रही है कि हम ट्रंप के हर बयान, ट्वीट या नीति में बदलाव को गंभीरता से ले लेते हैं, ये गलत है।
वैश्विक मोर्चे पर पीएम मोदी विश्वामित्र की तरह अडिग
पूर्व राजनयिक और राज्यसभा सदस्य हर्ष वर्धन श्रृंगला ने कहा कि पीएम मोदी वैश्विक मोर्चे पर विश्वामित्र की तरह खड़े हैं और उनके नेतृत्व में भारत विश्वबंधु की भूमिका में है। आइएएनएस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत हर देश के साथ स्वतंत्र संबंध रखता है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती से टैरिफ मसले पर भी समाधान निकल सकता है। उन्होंने कहा कि टैरिफ थोपने के बावजूद ट्रंप ने पीएम मोदी को महान शख्सियत बताया है और उनको दोस्त की तरह मानते भी हैं। टैरिफ के मसले पर चाहे जो भी हो, लेकिन दोनों के बीच संबंधों पर असर नहीं पड़ा है।
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