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    'सभी विकल्पों पर करना चाहिए विचार', अमेरिका में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले भारतीयों से हार्वर्ड प्रोफेसर ने क्या कहा?

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 09:45 PM (IST)

    हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना ने भारत को मध्यम-आय वाले देश से आगे बढ़ने के लिए विज्ञान में निवेश को अनिवार्य बताया है। उन्होंने कहा कि भारत को वैज्ञानिक क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने छात्रों को अमेरिका में अनिश्चितता के बीच सभी विकल्प तलाशने की सलाह दी। प्रोफेसर खन्ना ने जलवायु परिवर्तन और बढ़ती असमानता पर भी चिंता व्यक्त की और नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयासों की सराहना की।

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    हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना ने भारत को मध्यम-आय वाले देश से आगे बढ़ने के लिए विज्ञान में निवेश को अनिवार्य बताया है। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने भारत के युवा और विशाल बाजार को ताकत बताते हुए कहा कि बिना अपनी वैज्ञानिक क्षमता के भारत सुपरपावर नहीं बन सकता है।

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    उन्होंने भारतीय छात्रों को अमेरिका में अनिश्चितता के बीच सभी विकल्प तलाशने की सलाह दी और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों पर भी चिंता जताई।

    प्रोफेसर खन्ना ने कहा कि कोई भी देश बिना विज्ञान में निवेश के मध्यम-आय की स्थिति से बाहर नहीं निकला है। भारत को इस दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे। उन्होंने उद्यमियों और वैज्ञानिकों के बीच आपसी अविश्वास को तोड़ने की जरूरत पर जोर दिया। यह विकास में बाधा बन रहा है।

    'वैज्ञानिक क्षमता जरूरी है'

    प्रोफेसर तरुण ने कहा कि उद्यमी और वैज्ञानिक एक-दूसरे को संसाधन के रूप में नहीं देखते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इस अविश्वास को खत्म करने के लिए कई प्रयोग करने होंगे। भारत की युवा आबादी और बड़ा बाजार उसकी ताकत हैं, लेकिन वैज्ञानिक ताकत के बिना भारत दूसरों पर निर्भर रहेगा।

    चीन की मिसाल देते हुए खन्ना ने कहा कि वहां लंबी अवधि के निवेश ने कई गुना रिटर्न दिए हैं। भारत को भी बड़े पैमाने पर निवेश करना होगा, न कि केवल त्वरित आर्थिक लाभ पर ध्यान देना होगा।

    अमेरिका में पढ़ाई के सभी विकल्प खुले?

    अमेरिका में पढ़ाई को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रोफेसर खन्ना ने कहा कि वहां नीतिगत अनिश्चितता के कारण भारतीय छात्रों को सभी विकल्प तलाशने चाहिए। उन्होंने भारत में उभरती यूनिवर्सिटीज जैसे अशोका, प्लक्ष और फ्लेम का जिक्र किया। इसके साथ ही कनाडा और यूके जैसे देशों को भी विकल्प बताया।

    उन्होंने कहा कि प्रतिभा के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा छात्रों और शिक्षाविदों के लिए अच्छी है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि अमेरिका में नीतिगत अनिश्चितता जल्द खत्म होगी।

    वैश्विक चिंताएं क्या हैं?

    प्रोफेसर खन्ना ने बढ़ती असमानता और जलवायु परिवर्तन को दो बड़ी वैश्विक चिंताएं बताया। उन्होंने कहा कि बाजार संसाधनों का आवंटन तो करते हैं, लेकिन असमानता भी बढ़ाते हैं। जलवायु परिवर्तन पर उन्होंने चेतावनी दी कि सात पर्यावरणीय सीमाओं में से छह पहले ही पार हो चुकी हैं।

    उन्होंने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में प्रयासों की सराहना की, लेकिन वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने की तत्काल जरूरत पर बल दिया। रैपिड फायर राउंड में प्रो खन्ना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “हाइपर-प्रिपेयर्ड” बताया, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बारे में उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “नो आइडिया।”

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