खत्म नहीं हो रहा ट्रंप का टैन्ट्रम! टैरिफ के बाद अब विदेशी वर्कर्स को निशाने पर लेने की तैयारी, क्या है पूरा मामला?
ट्रंप प्रशासन अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों और छात्रों के लिए H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड नियमों में बदलाव करने जा रहा है जिससे भारतीय कर्मचारी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। H-1B वीजा का 70% हिस्सा भारतीय छात्रों के पास है। अब गोल्ड कार्ड के जरिए उच्च वेतन वाले और काबिल लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। वीजा लॉटरी खत्म करके वेतन आधारित वीजा प्रणाली लागू करने की योजना है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में रहने वाले लाखों विदेशी कर्मचारियों और छात्रों के लिए ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा और ग्रीन कार्ड प्रोग्राम में भारी बदलाव की ओर इशारा किया है। यह बदलाव भारतीय कर्मचारियों और छात्रों को खास तौर पर प्रभावित करेगा। H-1B वीजा का 70% हिस्सा भारतीय छात्र हैं।
अमेरिकी वित्त मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने H-1B वीजा को धोखा बताया है और कहा कि अब अमेरिकी नौकरियों को अमेरिकी नागरिकों के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
लुटनिक ने फॉक्स न्यूज से बात करते हुए कहा, "H-1B प्रोग्राम को बदलना जरूरी है। औसत अमेरिकी सालाना 75,000 डॉलर कमाता है, जबकि ग्रीन कार्ड धारक 66,000 डॉलर। हम निचले स्तर के लोगों को क्यों चुन रहे हैं? अब ट्रंप प्रशासन 'गोल्ड कार्ड' लाएगा, जिससे सबसे काबिल लोग देश में आएंगे।"
H-1B लॉटरी खत्म, अब वेतन आधारित वीजा?
ट्रंप प्रशासन H-1B वीजा की मौजूदा लॉटरी प्रणाली को खत्म करने की योजना बना रहा है। इसके बजाय, वीजा उन लोगों को मिलेगा जो ज़्यादा वेतन वाली नौकरियों में काम करते हैं।
इसका मतलब है कि कम वेतन वाली नौकरियों में काम करने वाले विदेशी कर्मचारी, जैसे नए स्नातक या छोटे व्यवसायों में काम करने वाले मुश्किल में पड़ सकते हैं। यह बदलाव पहले भी 2021 में प्रस्तावित था, लेकिन बाइडन प्रशासन ने इसे लागू नहीं किया।
इसके अलावा, ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में भी बदलाव होंगे। ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' प्रोग्राम एक नया विकल्प हो सकता है, जो मेधावी और उच्च वेतन वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता देगा। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा है कि ग्रीन कार्ड किसी को अमेरिका में हमेशा रहने का हक नहीं देता, जिससे ग्रीन कार्ड धारकों के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।
भारतीय कर्मचारियों पर पड़ेगा असर?
भारतीय कर्मचारी और छात्र, जो H-1B वीजा पर निर्भर हैं, इस बदलाव से सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल H-1B वीजा में 70% से ज्यादा भारतीयों को मिलता है।
नए नियमों के तहत, वीजा के लिए बायोमेट्रिक जानकारी और घर का पता जैसी निजी जानकारी देना अनिवार्य होगा। साथ ही, सख्त जांच और बढ़ी हुई दस्तावेजीकरण की मांग से प्रक्रिया और जटिल हो जाएगी।
इस साल जनवरी में ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से विदेशी कर्मचारियों और छात्रों के लिए नियम सख्त हो गए हैं। सिटिज़नशिप और इमिग्रेशन सर्विसेज़ (CIS) का ऑफिस, जो आप्रवासियों की मदद करता था, बंद कर दिया गया है। इससे वीजा प्रक्रिया में तकनीकी मदद लेना मुश्किल हो गया है।
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