'देशहित को देखते हुए...', H-1B VISA को लेकर ट्रंप ने फिर पीछे खींचे अपने कदम, इन लोगों को दे सकते हैं छूट
अमेरिका जाने वाले डॉक्टरों को एच-1बी वीजा आवेदन पर एक लाख डॉलर शुल्क से छूट मिल सकती है। ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय हित को देखते हुए कुछ मामलों में वीजा शुल्क से छूट देने की बात कही है। नासकॉम के अनुसार एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगी। यह नियम 2026 से लागू होगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका जाने वाले डॉक्टरों को नए एच-1बी वीजा आवेदन पर एक लाख डालर शुल्क से छूट मिल सकती है। वीजा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद मची अफरा-तफरी के बीच ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय हित को देखते हुए कुछ मामलों में वीजा शुल्क से छूट दी जा सकती है।
एच-1बी वीजा कार्यक्रम उन अस्पतालों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो दूरदराज के इलाकों में काम करने के लिए प्रशिक्षित विदेशी डाक्टरों पर निर्भर हैं। कई स्वास्थ्य प्रणालियां रेजिडेंट डाक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को लाने के लिए वीजा पर निर्भर करती हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां प्रशिक्षित अमेरिकी पेशेवर आकर्षित नहीं होते हैं।
नासकॉम का क्या कहना है?
पीटीआई के अनुसार, आईटी कंपनियों के शीर्ष संगठन नासकॉम ने नई दिल्ली में कहा कि पिछले कई वर्षों से अमेरिका में काम कर रही भारतीय और भारत से संबंधित कंपनियों ने एच-1बी वीजा पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है और स्थानीय स्तर पर भर्ती बढ़ा दी है। प्रमुख भारतीय कंपनियों को जारी एच-1बी वीजा की संख्या 2015 में 14,792 से घटकर 2024 में 10,162 रह गई है। इसे देखते हुए हमें उम्मीद है कि एच-1बी वीजा को लेकर ट्रंप सरकार के फैसले से इस सेक्टर पर बहुत कम असर होगा।
नासकॉम के अनुसार, अमेरिका सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि एच-1बी वीजा फीस में बढ़ोतरी मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगी। केवल नए आवेदनों पर सिर्फ एक बार एक लाख डॉलर का शुल्क देना होगा। इससे पात्रता और समय सीमा से जुड़ी अनिश्चितता दूर हुई है। इससे अमेरिका से बाहर रह रहे एच-1बी वीजा धारकों की चिंताएं भी कम हुई हैं।
इसके अलावा यह फीस बढ़ोतरी 2026 से लागू होगी। इससे कंपनियों को अमेरिका में स्किलिंग प्रोग्राम को और बेहतर बनाने और स्थानीय स्तर पर अधिक लोगों को नौकरी देने के लिए समय मिलेगा। उद्योग जगत अमेरिका में स्थानीय स्तर पर स्किलिंग और भर्ती पर 100 करोड़ डालर से अधिक खर्च कर रहा है और स्थानीय स्तर पर भर्ती किए गए लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
स्थानीय कर्मचारियों के बराबर होता है वेतन
नासकॉम ने कहा कि शीर्ष 10 भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों में एच-1बी कर्मचारियों की संख्या उनके कुल कर्मचारियों का एक प्रतिशत से भी कम है। एच-1बी कुशल कर्मचारियों के लिए एक गैर-आव्रजन वीजा है। यह अमेरिका में जरूरी कौशल की कमी को पूरा करता है। वेतन स्थानीय कर्मचारियों के बराबर होता है। एच-1बी कर्मचारी अमेरिका की कुल कार्यबल का एक छोटा सा हिस्सा है।
भारत में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा
नासकॉम ने हमेशा कुशल प्रतिभा की आवाजाही के लिए एक निश्चित और स्थिर ढांचे की वकालत की है, जो राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है और जिसने लंबे समय से अमेरिका में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है। उद्योग निकाय ने कहा कि कुशल प्रतिभा की आवाजाही से कंपनियों को भविष्य के प्रति निर्णय लेने, अनुसंधान तेज करने और वैश्विक नवाचार में भारत की स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
भारतीय कंपनियों पर प्रभाव कम होगा
एएनआई के अनुसार, अमेरिका की वित्तीय सेवा कंपनी मार्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नए वीजा नियमों का भारतीय आईटी कंपनियों पर अल्पकालिक प्रभाव बहुत कम होगा। हालांकि, मध्यम अवधि में लागत बढ़ने जैसी चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
चूंकि यह नियम केवल भविष्य के मामलों पर लागू होगा, इसलिए हमें लगता है कि इससे व्यवसाय पर अल्पकालिक प्रभाव सीमित होगा। कर्मचारियों की कथित कमी के कारण मौजूदा परियोजनाओं पर असर पड़ने की संभावना कम है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई, एएनआई और रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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