बेड, टॉयलेट से लेकर ओवन तक... उड़ते हुए होटल से कम नहीं अमेरिका का बी-2 बॉम्बर; जानिए खासियत
अमेरिका ने "मिडनाइट हैमर" नामक ऑपरेशन के तहत ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर बी-2 बॉम्बर विमानों से हमला किया। यह ऑपरेशन लगभग 37 घंटे चला। बी-2 बॉम्बर को इसकी बंकर बस्टर बम ले जाने की क्षमता, स्टील्थ विशेषता और लंबी उड़ान भरने की क्षमता के कारण चुना गया, क्योंकि ईरान ने यूरेनियम को बंकरों में जमा कर रखा था। इस विमान में पायलटों के लिए सोने, खाने और शौचालय जैसी सुविधाएं भी हैं, जो लंबी उड़ानों के लिए आवश्यक हैं।
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अमेरिका ने ईरान पर हमला करने के लिए बी-2 बॉम्बर का किया इस्तेमाल। (फोटो- रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका ने रविवार को ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया। ईरान की इन न्यूक्लियर साइट्स पर बम गिराने के लिए अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर विमान का उपयोग किया।
इस ऑपरेशन का नाम अमेरिका ने मिडनाइट हैमर रखा था। करीब 37 घंटों के इस ऑपरेशन के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पायलटों की तारीफ की है। बता दें कि नॉर्थ्रोप ग्रुम्मन कंपनी के विमान को अमेरिका की वयुसेना का रीढ़ कहा जाता है।
2001 में अमेरिका ने इस विमान का किया था उपयोग
जानकारी दें कि अफगानिस्तान में तालिबानियों को भगाने के लिए साल 2001 में अमेरिका ने इसका इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, उस दौरान अमेरिका ने पांच बी-2 बॉम्बर का प्रयोग तालिबानियों के ठिकानों पर बमबारी करने के लिए किया था। अनुमान के अनुसार, बॉम्बर की कीमत 2 बिलियन डॉलर ( करीब 1734 करोड़ रुपये) है।
पहली बार स्टील्थ बॉम्बर ने 1989 में भरी थी उड़ान
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, बी-2 स्पिरिट पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ बॉम्बर है, जिसने पहली बार साल 1989 में उड़ान भरी। वहीं, साल 1999 में कोसोवो युद्ध के दौरान इस विमान को परिचालन में लाया गया था। बता दें कि बी-2 अपने पूर्ववर्तियों जैसे बी-1 लांसर, बी-52 स्ट्रैटोफोर्टेस, एफ-117 नाइटहॉक्स से काफी अलग है।
एक उड़ता हुआ होटल है ये विमान
ईरान में ऑपरेशन मिडनाइट हैमर को अंजाम देने के लिए अमेरिकी बेस से उड़ान भरने के बाद और ऑपरेशन को अंजाम देकर वापस लौटने तक बी- बॉम्बर ने करीब 37 घंटों तक हवा में रहा। हवा में ही इस विमान में ईंधन भरा गया। ऐसे में मन में सवाल है कि आखिर इतने देर तक इस विमान के पायलटों ने कैसे समय व्यतीत किया।
जानकारी के अनुसार, अपने 37 घंटों के सफर के दौरान इस विमान को दो पायलटों ने मैनेज किया। इस बॉम्बर के भीतर सोने और खाने की भी व्यवस्था है। इतना ही नहीं इस बॉम्बर में टॉयलेट का भी इंतजाम है। ऐसा इसलिए ताकि, पायलट को विमान में किसी प्रकार की समस्या ना हो सके।
चालक दल के होती हैं ये भी सुविधाएं
बता दें कि बी-2 स्पिरिट में बंक, माइक्रोवेव ओवन और स्नैक्स से भरा एक स्टोरेज रैक होता है। इसके अलावा इस विमान में खाने की चीजों में कैंडी बार, अनाज, सैंडविच, दूध और पीने के लिए भी खास इंतजाम होते हैं। बी-2 में अमूमन दो पायलट होते हैं और उड़ान भरते हैं। ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान, दोनों पायलटों को विमान में ही खाना खिलाया गया और 37 घंटों तक उड़ान के दौरान अन्य सुविधाएं भी दी गईं।
जानिए इस बी2 बॉम्बर की ताकत
बता दें कि बी-2 बॉम्बर 66 फीट लंबा है और इसकी ऊंचाई 17 फीट है। इस बॉम्बर के पंखों का फैलाव 172 फीट है। इसका डिजाइन सिल्हूट और फ्लाइंग विंग जैसा है। इतना ही नहीं बॉम्बर रडार में भी गायब हो जाता है। कुछ आधुनिक रडार में यह काफी कम नजर आता है। इसमें चार जनरल इलेक्ट्रिक F118-GE-100 टर्बोफैन लगे होते हैं।
कंपनी का दावा है कि यह बॉम्बर 50,000 फीट से भी अधिक ऊंचाई तक जाने की क्षमता रखता है। यह जेट 20 टन का पेलोड को आसानी से ले जाने में सक्षम है।
अमेरिका ने क्यों किया इसी विमान का प्रयोग
दावा किया जाता है कि ईरान ने परमाणु बम बनाने के लिए यूरेनियम जमा कर रखा है। ईरान ने यूरेनियम को बंकर के भीतर जमा कर के रखा, जिससे इसको सुरक्षित रखा जा सके। इसको सिर्फ बंकर बस्टर बम से ही नष्ट किया जा सकता है। इस बम को केवल बी-2 बॉम्बर ही ले जा सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने बी-2 बॉम्बर का इस्तेमाल किया।
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