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    क्यों टूट गई ट्रंप और मस्क की दोस्ती? चार महीने में ही अमेरिकी प्रशासन से मोहभंग; पढ़ें अंदर की बात

    Elon Musk Quits एलन मस्क ने ट्रंप प्रशासन से अपनी रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है। उन्हें डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में विशेष एडवाइजर के रूप में नियुक्त किया गया था। मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी डीओजीई की जिम्मेदारी दी गई थी जिसका उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती करना था।

    By Swaraj Srivastava Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Thu, 29 May 2025 05:53 PM (IST)
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    डीओजीई का मकसद सरकारी खर्चों में कटौती करना था (फोटो: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Elon Musk DOGE: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव जीतकर दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे, तब उन्होंने उद्योगपति एलन मस्क को विशेष सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था। ट्रंप के चुनावी वादे के मुताबिक, दूसरे कार्यकाल में ही डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (Department of Government Efficiency) यानी डीओजीई भी बनाया गया, जिसका उद्देश्य बेफिजूल सरकारी खर्चों में कटौती करना था।

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    मस्क को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई। समय बीतता गया और इस दौरान उपजे तमाम विवादों को नजरअंदाज करते हुए मस्क ने ट्रंप की 'उम्मीदों' पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की। लेकिन अब मस्क ने खुद ही ट्रंप प्रशासन से अपने 'रिटायरमेंट' की घोषणा कर दी है।

    ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर मस्क ने ट्रंप प्रशासन से अलग होने का फैसला क्यों किया और क्या अब डीओजीई (DOGE) का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा?

    लंबे समय से इस बात की चर्चा हो रही थी कि एलन मस्क (Elon Musk) और डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लोगों ने ये भी नोटिस किया कि ट्रंप और मस्क ने एक-दूसरे का जिक्र सोशल मीडिया पर करना बंद कर दिया था। ये भी कहा जाने लगा था कि व्हाइट हाउस (White House) के कार्यक्रमों में मस्क को नहीं बुलाया जा रहा था।

    जबकि इसके पहले मस्क और ट्रंप की दोस्ती की चर्चा सिर्फ अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया में हुई थी। ट्रंप के चुनावी अभियान को एलन मस्क ने ही फंड किया था और सरकार गठन के बाद व्हाइट हाउस के कई बड़े फैसलों में मस्क का हस्तक्षेप था, लेकिन बीते 4 महीनों ने काफी कुछ बदला और मस्क ने अपनी राहें अलग कर ली हैं।

    सिर्फ 130 दिनों की सर्विस

    ऐसा कहना शायद जल्दीबाजी होगी कि मस्क और ट्रंप की दोस्ती में दरार आ गई है। मस्क ने सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर पोस्ट डीओजीई की जिम्मेदारी देने के लिए ट्रंप का आभार जताया था और उन्होंने खुद कहा था कि विशेष सरकारी कर्मचारी के लिए मेरा निर्धारित कार्यकाल खत्म हो रहा है।

    दरअसल एलन मस्क को डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में विशेष सरकारी कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया था। वह ट्रंप के विशेष सलाहकार थे। लेकिन नियमों के तहत, इस पद का कार्यकाल केवल 130 दिनों के लिए ही होता है। अगर कानून के नजरिए से देखें, तो मस्क को वैसे भी मई 2025 के बाद रिटायर हो जाना था। हालांकि ये कहा जा सकता है कि उन्होंने पद छोड़ने का समय काफी सोच-समझकर चुना है।

    बिल को लेकर भी रस्साकशी

    • अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स ने हाल ही में 'बिग ब्यूटीफुल बिल' (Big Beautiful Bill) को पारित किया है। ट्रंप ने इस बिल की तारीफ में कई कसीदे पढ़े हैं। लेकिन मस्क इससे इत्तिफाक नहीं रखते। उन्होंने खुलकर बिल की आलोचना की और कहा कि इससे बजट घाटा बढ़ जाएगा।
    • दरअसल बिल में सरकार को कर्ज लेने की क्षमता बढ़ाने और पहले कार्यकाल के दौरान किए गए टैक्स कट को 10 साल के लिए एक्टेंशन देने समेत बॉर्डर सिक्योरिटी खर्च में इजाफा करने का प्रविधान है। मस्क का कहना है कि बिल के कारण डीओजीई के प्रयास विफल हो जाएंगे।

    सरकारी व्यवस्था से मोहभंग

    ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि सरकारी व्यवस्था में एलन मस्क का दम घुटने लगा था और 4 महीने में ही उन्हें एहसास हो गया कि अब बाहर निकलने का वक्त आ गया है। एक अमेरिकी समाचार पत्र से बातचीत में मस्क ने यह कहा था कि यह मेरी सोच से ज्यादा खराब है।

    सरकार में दखलअंदाजी का असर मस्क को विरोध के रूप में भी झेलना पड़ा और इसका असर उनके बिजनेस, खास तौर पर टेस्ला पर पड़ा था। कई प्रदर्शनों में टेस्ला के वाहनों को निशाना भी बनाया गया था। लेकिन बावजूद इसके ट्रंप गाहे-बगाहे मस्क के 'आत्मसम्मान' को ठेस पहुंचाने वाले बयान दे ही देते थे। जाहिर है कि मस्क अब सरकार से ज्यादा अपने बिजनेस पर फोकस करना चाहेंगे।

    डीओजीई का अब भविष्य क्या?

    • सरकारी दक्षता विभाग की जिम्मेदारी फिजूलखर्ची को कम करना था। ट्रंप के चुनावी वादे टैक्सपेयर का पैसा बचाने पर केंद्रित थे। चुनावी जुमलों से इतर, जब डीओजीई अस्तित्व में आया, तो टारगेट 2 ट्रिलियन डॉलर की सेविंग का रखा गया था। लेकिन समय के साथ इसे घटाकर 1 ट्रिलियन डॉलर कर दिया गया।
    • जब वास्तविकता से अमेरिकी सरकार रूबरू हुई, तो टारगेट फिर से घटाकर 150 बिलियन डॉलर का किया गया। तमाम फंड और खर्चो में कटौती की गई और डीओजीई की वेबसाइट के मुताबिक, 175 बिलियन डॉलर की बचत हुई भी। लेकिन शुरुआती टारगेट से यह कितना कम है, ये बताने की जरूरत नहीं।
    • हालांकि मस्क ने ये साफ जरूर कर दिया है कि डीओजीई अपना काम करता रहेगा। उन्होंने ये भी दावा किया है कि सरकारों के लिए ये एक प्रोसेस बन जाएगा। हालांकि ट्रंप डीओजीई को लेकर क्या फैसला लेंगे, इसका जवाब भविष्य के गर्भ में ही छिपा है।

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