अमेरिका में टार्गेट पर हैं बुजुर्ग भारतीय! ग्रीन कार्ड धारकों को कार्ड सरेंडर के लिए किया जा रहा मजबूर
बुजुर्ग भारतीय जो अपने बच्चों के साथ अमेरिका में रहते हैं लेकिन सर्दियों के महीने भारत में बिताते हैं वे विशेष रूप से अतिसंवेदनशील होते हैं। इस मामले को लेकर वकीलों ने एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर न करें। ग्रीन कार्ड धारक को इमिग्रेशन जज द्वारा सुनवाई का अधिकार है। बता दें केवल एक इमिग्रेशन जज ही ग्रीन कार्ड वापस ले सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में इमिग्रेशन वकीलों को ग्रीन कार्ड धारकों (जिनमें भारतीय भी शामिल हैं) की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है, जिन्हें दो-दो निरीक्षण से गुजरना पड़ रहा है, जिसमें यूएस कस्टम और बॉर्डर प्रोटेक्शन (सीबीपी) अधिकारियों द्वारा प्रवेश के हवाई अड्डों पर रात भर हिरासत में रखना शामिल है।
सर्दियों में भारत आ जाने वाले लोग हो रहे टार्गेट
कुछ लोगों पर स्वेच्छा से अपना ग्रीन कार्ड छोड़ने के लिए 'दबाव' भी डाला जाता है। बुजुर्ग भारतीय जो अपने बच्चों के साथ अमेरिका में रहते हैं, लेकिन सर्दियों के महीने भारत में बिताते हैं, वे विशेष रूप से अतिसंवेदनशील होते हैं। इस मामले को लेकर वकीलों ने एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा, अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर न करें। ग्रीन कार्ड धारक को इमिग्रेशन जज द्वारा सुनवाई का अधिकार है।
आव्रजन और राष्ट्रीयता अधिनियम (आईएनए) के तहत, एक वैध स्थायी निवासी (एलपीआर), जिसे ग्रीन कार्ड धारक भी कहा जाता है, जो 180 दिनों से अधिक समय तक अमेरिका से बाहर रहता है, उसे 'पुनः प्रवेश' चाहने वाला माना जाता है और उसे अस्वीकार्यता के आधार पर रखा जाता है। जबकि ग्रीन कार्ड की स्थिति को छोड़ने (त्यागने) का मुद्दा आम तौर पर तब उठता है जब व्यक्ति एक वर्ष (365 दिन) से अधिक समय तक अमेरिका से बाहर रहा हो।
इमिग्रेशन वकील ने क्या जानकारी दी
फ्लोरिडा में रहने वाले एक इमिग्रेशन वकील अश्विन शर्मा ने बताया, "मैंने हाल ही में व्यक्तिगत रूप से ऐसे मामलों को संभाला है, जहां CBP ने बुजुर्ग भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों, विशेष रूप से दादा-दादी को निशाना बनाया है, जिन्होंने अमेरिका से बाहर कुछ समय बिताया है और उन पर फॉर्म I-407 पर हस्ताक्षर करने का दबाव डाला है, ताकि वे अपनी वैध स्थायी निवासी स्थिति (ग्रीन कार्ड) को 'स्वेच्छा से' सरेंडर कर सकें।
सिएटल स्थित इमिग्रेशन वकील कृपा उपाध्याय ने ग्रीन कार्ड को सरेंडर न करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "आम तौर पर किसी व्यक्ति का ग्रीन कार्ड सीमा द्वारा तब तक रद्द नहीं किया जा सकता जब तक कि व्यक्ति 'स्वेच्छा से' सरेंडर न कर दे। यदि किसी ग्रीन कार्ड धारक ने अमेरिका से बाहर 365 दिनों से अधिक समय बिताया है, तो उसे अपना निवास 'त्याग' दिया हुआ माना जाता है।
केवल इमिग्रेशन जज ही ग्रीन कार्ड ले सकता है वापस
एनपीजेड लॉ ग्रुप की मैनेजिंग अटॉर्नी स्नेहल बत्रा ने कहा, "केवल एक इमिग्रेशन जज ही ग्रीन कार्ड वापस ले सकता है, इसलिए व्यक्तियों को इस फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। उन्होंने एक ऐसे मामले का उल्लेख किया, जिसमें एक व्यक्ति को द्वितीयक निरीक्षण में रखा गया था, क्योंकि एक वैध स्थायी निवासी बनने के बाद से (छह साल से अधिक समय पहले), उसने भारत में बहुत समय बिताया है।
हालांकि उसने कभी भी अमेरिका से बाहर छह महीने से अधिक समय नहीं बिताया, लेकिन उसके यात्रा इतिहास से यह स्पष्ट था कि वह केवल अपना ग्रीन कार्ड स्टेटस बनाए रखने के लिए अमेरिका लौटा था। बत्रा ने कहा, "वह इस बार भाग्यशाली था और उसे देश में प्रवेश मिल गया, लेकिन सीबीपी ने उसे चेतावनी दी कि अगर वह स्थायी आधार पर अमेरिका में नहीं रह रहा है, तो उसे अपना ग्रीन कार्ड छोड़ देना चाहिए।"
ग्रीन कार्ड बनाए रखने के लिए हैं कड़े कानून
आर्लिंगटन स्थित इमिग्रेशन अटॉर्नी राजीव एस खन्ना ने चेतावनी देते हुए कहा, "मैंने जिन सामान्य परिदृश्यों पर परामर्श दिया है, उनमें से एक वह है जब ग्रीन कार्ड धारक अमेरिका में नहीं रहते हैं। वे हर कुछ महीनों में आते हैं और इसे पर्याप्त मानते हैं। यह कानूनी रूप से गलत है। ग्रीन कार्ड को बनाए रखने के लिए अमेरिका में एक स्थायी घर बनाने और बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
इमिग्रेशन अटॉर्नी जेसी ब्लेस ने कहा, "कानूनी स्थायी निवासी जो एक साल से अधिक समय से अमेरिका से बाहर हैं (बिना री-एंट्री परमिट के) उन्हें निष्कासन कार्यवाही में उपस्थित होने के लिए नोटिस मिल रहा है।"
अमेरिका में लॉन्च हुआ सेल्फ-डिपोर्टेशन एप, मस्क ने किया समर्थन
इसके साथ ही, अमेरिका में सेल्फ-डिपोर्टेशन एप लाया गया है, जिसकी मदद से इमग्रेशन कानूनों का उल्लंघन करने वाले लोग खुद ही इस एप्लिकेशन का उपयोग करक वापस अपने देश जा सकते हैं। एलन मस्क ने इस एप का समर्थन भी किया है।
मस्क का यह समर्थन कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन द्वारा सीबीपी होम ऐप का उपयोग करके अमेरिका से स्व-प्रवास किए जाने के एक सप्ताह बाद आया है। वह इस सुविधा का उपयोग करने वाली देश की पहली व्यक्ति बन गई हैं।
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