'अमेरिका में रहने का अधिकार...', ट्रंप के बाद जेडी वेंस ने ग्रीन कार्ड पर दिया बड़ा बयान
अमेरिका की आव्रजन नीति में बदलाव की चर्चा तेज हो गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गोल्ड कार्ड योजना का प्रस्ताव रखा है जिससे धनी विदेशी नागरिक 5 मिलियन डॉलर देकर अमेरिका में बस सकते हैं। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ग्रीन कार्ड धारकों के स्थायी निवास के अधिकार पर सवाल उठाया है। यह योजना भारतीय पेशेवरों और निवेशकों के लिए नए अवसर खोल सकती है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में आव्रजन नीति (Immigration Policy) को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘गोल्ड कार्ड’ नामक एक नई योजना का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत धनी विदेशी नागरिक 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर देकर अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार खरीद सकते हैं। वहीं, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ग्रीन कार्ड धारकों के अधिकारों को लेकर बयान दिया है, जिससे इस मुद्दे पर चर्चा और तेज हो गई है।
ग्रीन कार्ड धारकों के अधिकारों पर जेडी वेंस की टिप्पणी
ग्रीन कार्ड, जिसे स्थायी निवासी ( US Permanent Resident) कार्ड भी कहा जाता है, अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार देता है। लेकिन उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने साफ किया कि इसका मतलब अनिश्चितकालीन निवास की गारंटी नहीं है।
उन्होंने कहा, "ग्रीन कार्ड धारक को अमेरिका में रहने का स्थायी अधिकार नहीं है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि अमेरिकी नागरिकों को तय करना चाहिए कि हमारे समाज का हिस्सा कौन बनेगा।"
अमेरिकी कानून पहले से ही कुछ स्थितियों में ग्रीन कार्ड रद करने की इजाजत देता है, जैसे अपराध में लिप्त होना, देश से लंबे समय तक अनुपस्थित रहना या आव्रजन नियमों का उल्लंघन करना।
'गोल्ड कार्ड' योजना: अमेरिका में रहने के लिए 5 मिलियन डॉलर
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 'गोल्ड कार्ड' नामक एक नई योजना का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत धनी विदेशी नागरिक 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का भुगतान कर अमेरिका में रहने और काम करने का अधिकार खरीद सकेंगे।
"हम एक गोल्ड कार्ड बेचने जा रहे हैं। ग्रीन कार्ड की तरह यह भी विशेषाधिकार देगा, लेकिन इसके जरिए नागरिकता का रास्ता भी खुलेगा।" डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति
भारतीयों के लिए कितना फायदेमंद?
यूएससीआईएस के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय नागरिक अमेरिकी कार्य वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच जारी किए गए सभी एच1बी वीजा में से 72.3% भारतीय आवेदकों को मिले। इस नई पहल से भारतीय पेशेवरों और निवेशकों को अमेरिका में स्थायी रूप से बसने का एक नया अवसर मिल सकता है, लेकिन इसकी शर्तें और प्रभाव पर अभी बहस जारी है।
ट्रम्प ने मौजूदा आव्रजन प्रणाली की आलोचना की, खासकर अमेरिका में पढ़ाई करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए। उन्होंने कहा कि भारत, चीन, जापान और अन्य देशों के छात्र हार्वर्ड या व्हार्टन जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद भी अमेरिका में नहीं रुक पाते।
उन्होंने कहा, "ये छात्र नौकरियों के लिए योग्य होते हैं, लेकिन मौजूदा वीजा प्रणाली के कारण उन्हें अमेरिका में रहने की गारंटी नहीं मिलती।"
कंपनियों को भी मिलेगा 'गोल्ड कार्ड' खरीदने का अवसर
ट्रम्प ने यह भी सुझाव दिया कि कंपनियों को विदेशी प्रतिभाओं को नियुक्त करने के लिए 'गोल्ड कार्ड' खरीदने की अनुमति दी जाएगी। इस कार्यक्रम से अरबों डॉलर का राजस्व जुटाने की उम्मीद है, जिससे अमेरिका के राष्ट्रीय ऋण को कम करने में मदद मिलेगी।
'गोल्ड कार्ड' योजना को मौजूदा ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेने के लिए प्रस्तावित किया गया है। ईबी-5 वीजा के तहत विदेशी निवेशकों को अमेरिका में नौकरियां पैदा करने के बाद ग्रीन कार्ड मिलता था।
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