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    अमेरिका में कपड़े-गहने और दवाएं हो जाएंगी महंगी, ट्रंप की टैरिफ नीति से चिंता में नागरिक; भारतीय IT कंपनियों की क्‍या है तैयारी?

    Updated: Wed, 22 Jan 2025 05:03 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पद संभालते ही आयात शुल्क बढ़ाने का एलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देशों पर 100% आयात शुल्क लगाया जाएगा। ऐसे में दवाएं गहने कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई सामान महंगे हो जाएंगे। ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी उपभोक्ता चिंता में पड़ गए हैं। शुल्क को लेकर अमेरिकियों ने एक सर्वे में अपना पक्ष रखा जिसमें चीन को लेकर क्‍या कहा यहां पढ़ें

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    डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी का अमेरिका और वैश्विक व्यापार पर क्‍या होगा असर। फोटो- PTI

    डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्ली/वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे देशों से आयात होकर अमेरिका पहुंचने वाले प्रोडक्ट्स पर टैक्स बढ़ाने की धमकी देनी शुरू कर दी थी। राष्ट्रपति पद संभालते ही उन्होंने टैक्स बढ़ाने का एलान भी कर दिया। ट्रंप ने सबसे ज्यादा यानी 100 प्रतिशत तक आयात शुल्क ब्रिक्‍स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) पर लगाने की धमकी दी है।

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    अमेरिकी बाजार में बिकने वाले ज्यादातर प्रोडक्ट दूसरे देशों से आते हैं। ऐसे में अमेरिका में रहने वालों को महंगाई का डर सता रहा है। अगर ट्रंप आक्रामक टैरिफ नीति लागू की तो अमेरिका में दवाएं, गहने, बियर,  टी-शर्ट्स और स्नीकर्स जैसे तमाम घरेलू सामान महंगे हो सकते हैं।

    राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन की घोषणा में कहा गया है कि सभी देशों के सभी एक तरह के उत्पाद और सेवा के आयात पर शुल्क एक जैसा नहीं बढ़ाया जाएगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने की बात कही है। जब ट्रंप के एलान को कुछ रिपोर्ट्स में धमकी बताया गया तो उन्होंने कहा कि वह शुल्‍क की प्रस्तावित दरों को किसी भी हाल में कम नहीं करेंगे।

    ट्रंप के शुल्क बढ़ाने पर क्‍या होगा?

    राष्ट्रपति ट्रंप का मानना है कि शुल्क बढ़ाने से अमेरिका में  मैन्युफैक्चरिंग ज्यादा होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।  हालांकि, ट्रंप के इस फैसले से रिटेल कंपनियों की लागत भी बढ़ेगी। जिसकी भरपाई कंपनियां ग्राहकों से करेंगी।

    नेशनल रिटेल फेडरेशन एंड कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन (National Retail Federation & Consumer Technology Association) ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को लेकर चेतावनी भी दी है।   नेशनल रिटेल फेडरेशन एंड कंज्यूमर टेक्नोलॉजी एसोसिएशन  की ओर से कहा गया है कि बढ़ा हुआ शुल्‍क अमेरिकी उद्योग और ग्राहकों का ही खर्च बढ़ाएगा।

    ट्रंप के आते ही अमेरिकियों को क्यों सता रही महंगाई की चिंता?

    हाल ही में पीडब्ल्यूसी ने एक सर्वे कराया। इस सर्वे में शामिल हुए 67 प्रतिशत अमेरिकी लोगों का मानना है कि अगर राष्ट्रपति ट्रंप आयात शुल्क बढ़ाएंगे तो कंपनियां बढ़े टैरिफ का बोझ कस्टमर पर ही डालेंगी। ऐसे में आशंका है कि हर कंज्यूमर प्रोडक्ट के दाम बढ़ सकते हैं। इसका प्रभाव हर घर और बिजनेस पर हो सकता है।

    बच्‍चों के खिलौनों से लेकर गहने, कपड़े, कार, जूते, इलेक्ट्रॉनिक्स, चॉकलेट, फल, सब्जियां समेत घरेलू सामान व खाद्य उत्पाद की कीमत डेढ़ गुना तक बढ़ सकती है। यह देखते हुए भी ट्रंप अचानक कोई बड़ा फैसला करेंगे, इसकी आशंका कम ही है।

    चीन पर टैक्स को लेकर अमेरिकी क्‍या चाहते हैं?

    पीडब्ल्यूसी की सर्वे रिपोर्ट से पता चला कि 45 प्रतिशत अमेरिकी लोग 10 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं। वहीं 33 प्रतिशत 20% तक टैरिफ लगाए जाने पर सहमत हैं। जब चीन को लेकर सवाल किए गए तो एक तिहाई अमेरिकी 60 प्रतिशत टैक्‍स लगाए जाने के पक्ष में हैं।

    इससे साफ है कि अमेरिका के लोगों में चीन को लेकर खास नराजगी है। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि ट्रंप जनता की भावनाओं का फायदा उठा सकते हैं।

    ट्रंप के एलान पर कंपनियों की क्‍या है रणनीति?

    राष्ट्रपति ट्रंप किस देश पर कितना शुल्‍क लगाएंगे, इसको लेकर अभी तक कुछ भी स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है। इसके बावजूद कंपनियों में टैरिफ पर चर्चा हो रही है। कंपनियां किसी भी सिचुएशन से निपटने की तैयारी करने में जुट गई हैं। तैयारी में कीमत बढ़ने के बाद बिक्री बढ़ाने की स्ट्रैटजी भी शामिल है।

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    भारतीय IT कंपनियां क्‍यों बढ़ा रहीं अमेरिकियों की हायरिंग?

    अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद ही भारतीय आईटी कंपनियों को  अमेरिका में टैरिफ बढ़ने और दूसरे देशों के प्रोफेशनल्स के लिए हालात मुश्किल होने का अंदाजा लग गया था। ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में वहां के स्‍थानीय लोगों को हायरिंग कर रही हैं।

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     रेगुलेटरी फाइलिंग से पता चलता है कि इन्फोसिस और टीसीएस जैसी कंपनियां अमेरिकियों की हायरिंग तेजी से कर रही हैं। दोनों कंपनियां अब तक 25 हजार से ज्यादा अमेरिकी कर्मचारी नियुक्त कर चुकी हैं।

    भारत में आईटी कंपनियों की प्रतिनिधि संस्था नैसकॉम के अनुसार,  भारतीय आईटी कंपनियों को अमेरिकी नीतियों में आ रहे बदलाव के लिए  हेल्थ केयर सर्विसेज, रिटेल और बैंकिंग सेक्टर में बदलाव करने के लिए तैयार रहना होगा।

    हालांकि, अभी कुछ सालों में भारतीय आईटी कंपनियों ने अमेरिका के अलावा नए बाजारों पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। इनमें अफ्रीकी और रीजनल मार्केट शामिल हैं। 

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