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    Donald Trump: राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने बदल दिए बाइडेन के 78 फैसले, क्या होते हैं एक्जीक्यूटिव ऑर्डर?

    Updated: Tue, 21 Jan 2025 08:55 PM (IST)

    Donald Trump डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इसके साथ ही वे दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने। शपथ लेते ही उन्होंने जोशीला भाषण दिया। उन्होंने अमेरिका के सुनहरे भविष्य को लेकर उनकी सोच और योजनाओं का बखान किया। इसके बाद उन्होंने एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स के तहत कई अहम फैसलों पर हस्ताक्षर किए। पढ़िए ये एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स क्या होते हैं? इसका इतिहास क्या है?

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    डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने। फोटो: रॉयटर्स

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही अपने जो​शीले भाषण में अमेरिका के भविष्य का खाका खींचकर लोगों के सामने रख दिया। वहीं उन्होंने राष्ट्रपति बनते ही पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के 78 फैसलों को भी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स के तहत पलट दिया। दरअसल, ट्रंप ने प्रेसिडेंट पद की शपथ लेने के बाद अमेरिकी नीति को बदलने के लिए एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी करने का वादा किया। पढ़िए क्या होते हैं ये एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स यानी कार्यकारी आदेश?

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    अमेरिका के नए राष्ट्रपति ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद बाइडेन प्रशासन के कई आदेशों को रद करके नए आदेश लागू करने का काम किया। ये कार्यकारी आदेश यानी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स कानून की तरह प्रभावी होते हैं। हालांकि इन्हें रोका भी जा सकता है। पढ़िए एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स किस तरह प्रभावी होते हैं। कैसे इन्हें पलटा जा सकता है?

    क्या होते हैं एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स?

    प्रश्न यह उठता है कि आखिर ये कार्यकारी आदेश यानी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स क्या होते हैं। रॉयटर्स की खबर के अनुसार, एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स ऐसे आदेश होते हैं जिसे अमेरिकी प्रेसिडेंट अपने प्रभाव से एकतरफा रूप से एक्जीक्यूट कर सकते हैं। यह कानून के समान ही प्रभावी होते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में भी कई एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी किए थे। पहले कार्यकाल में उन्होंने 220 कार्यकारी आदेश जारी किए थे। पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर के बाद यह आदेशों को जारी करने की सबसे ज्यादा संख्या थी। जो बाइडेन की बात करें तो उन्होंने अपने 20 जनवरी तक के कार्यकाल में 155 कार्यकारी आदेश जारी किए।

    कब प्रभावी होते हैं?

    अमेरिकी प्रेसिडेंट जब कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर देता है तो इसके बाद यह प्रभावी हो जाता है। यह तुरंत भी प्रभावी हो सकता है और कई महीने बाद भी प्रभावी हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर है कि इसे एक फेडरल एजेंसी से औपचारिक कार्रवाई की आवश्यकता है या नहीं? जैसे कि ट्रंप ने मुस्लिमों की यात्रा पर बैन लगाया था, तो यह आदेश त्वरित रूप से अस्तित्व में आ गया था।

    कार्यकारी आदेश का क्या है इतिहास?

    • अमेरिका में डेमोक्रेसी सबसे पुरानी है। इस लिहाज से साल 1789 से एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स का ट्रैंड शुरू हुआ था। यहां ऐसा नियम है कि हर प्रेसिडेंट अपने कार्यकाल के दौरान कम से कम एक बार एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार अब तक 13 हजार से ज्यादा एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी हो चुके हैं।
    • कांग्रेस और उनकी संघीय कोर्ट इन एक्जीक्यूटिव ऑर्डर्स को रद कर सकती हैं। साल 2023 में कोरोना के टीके को लेकर जो बाइडेन ने ​आदेश जारी किया था। इसके अनुसार सभी को ये वैक्सीन लगवाना अनिवार्य था। हालांकि इस आर्डर को अदालत ने यह मानकर रद कर दिया था कि यह आदेश से लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है।

    सबसे ज्यादा कार्यकारी आदेश किस राष्ट्रपति ने किए हैं जारी?

    • कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अनुसार अब तक एक्जीक्यूटिव आर्डर्स के इतिहास में कई आदेश जारी हुए हैं।
    • यूएस के पहले प्रेसिडेंट जॉर्ज वाशिंगटन ने अपनी पद अवधि के दौरान सिर्फ 8 आदेशों पर दस्तखत किए थे।
    • सबसे ज्यादा 3721 कार्यकारी आदेश अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रुजवेल्ट ने अपने कार्यकाल के दौरान दस्तखत किए थे।
    • साल 2016 में डोनाल्ड ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने, तब अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने 220 एक्जीक्यूटिव आर्डर्स पर दस्तखत किए।

    राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने किन खास आदेशों पर किए साइन?

    डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका के स्वर्णिम युग की शुरुआत का आगाज करते हुए यह दर्शाया कि अब अमेरिका अपने हितों को सर्वोपरि रखेगा। दुनिया के युद्धों में खुद को उलझाने से बचेगा। अपने जोशीले भाषण में उन्होंने अमेरिका हित से जुड़े कई मुद्दों पर बात कही।

    इसके बाद वे ओवल ऑफिस पहुंचे और कई एक्जीक्यूटिव आदेशों पर दस्तखत किए। उन्होंने डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन से खुद को अलग रखने का आदेश भी साइन किया। इसकी वजह स्वास्थ्य संगठन का चीन की ओर झुकाव और कोरोना के दौरान स्वास्थ्य संगठन की विफलता को कारण बताया गया है। उन्होंने बाइडेन सरकार के 78 फैसलों को भी रद कर दिया।