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    अमेरिकी यूनिवर्सिटी में इमिग्रेशन रेड्स से बचने के लिए छात्रों ने निकाला जुगाड़; गूगल मैप्स को बना दिया 'अलार्म'

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 09:27 AM (IST)

    अमेरिका के लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो के छात्र ट्रंप सरकार की इमिग्रेशन रेड्स को डॉक्यूमेंट करने के लिए गूगल मैप अपडेट कर रहे हैं। यह मैप कैंपस और आसपा ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। अमेरिका के लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो के छात्र ट्रंप सरकार की इमिग्रेशन रेड्स को डॉक्यूमेंट करने में जुटे हैं। दरअसल ये छात्र एक गूगल मैप अपडेट कर रहे हैं, जहां हर लाल पिन कैंपस और आसपास के इलाकों में फेडरल इमिग्रेशन एजेंट्स की साइटिंग को दिखाता है। इससे लोगों को रियल टाइम में पता चल जाता है कि कैंपस के किस इलाके में इमीग्रेशन की रेड चल रही है या फिर सरकारी एजेंट मौजूद हैं।

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    ट्रंप की प्रेसिडेंसी में नया रोल

    ये युवा छात्र और पत्रकार इमिग्रेशन रेड्स को डॉक्यूमेंट कर रहे हैं। उनका मकसद ऑनलाइन अफवाहों को फैक्ट्स से चुनौती देना और लोगों को उन इलाकों का मैप देना है जहां एजेंट्स ज्यादा सक्रिय हैं, ताकि हाल के महीनों में फैली दहशत कम हो।

    ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद उनकी सरकार ने बड़े इमिग्रेंट समुदायों वाले शहरों में आक्रामक स्वीप्स शुरू किए, ताकि गैरकानूनी रहने वालों को डिपोर्ट करने का कैंपेन वादा पूरा हो सके। शिकागो इसमें प्रमुख शहर है।

    डीएचएस का कहना है कि वे हिंसक अपराधियों को टारगेट कर रहे हैं, और अब तक 4,300 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। एक स्पोक्सपर्सन ने कहा, "हमारे प्रयास जारी हैं, हम शिकागो को नहीं छोड़ रहे।"

    कैंपस पर फैला डर

    ऑपरेशन से पहले ही विश्वविद्यालय कैंपस पर अफवाहें फैल चुकी थीं। महीनों पहले यूएस सेंसस ब्यूरो का एक व्यक्ति डॉर्म में आया, तो झूठी खबर फैली कि आईसीई आ गया। छात्रों ने 'द फीनिक्स' स्टाफ से पूछा कि क्या ये सच है।

    लोयोला यूनिवर्सिटी लंबे समय से गैरकानूनी इमिग्रेंट्स को जगह देती रही है, खासकर डाका छात्रों को जो बच्चे के रूप में अमेरिका आए। ये यूनिवर्सिटी का सोशल जस्टिस मिशन है।

    मैप से अफवाहों पर लगाम

    अक्टूबर की शुरुआत में दो छात्रों ने गूगल मैप शुरू किया। इसमें रियल टाइम में हर पिन फोटो, टाइमस्टैम्प्ड वीडियो या कई गवाहों से वेरिफाई की जाती है। ये पिन्स लोगों को बताते हैं कि एजेंट्स कहां इकट्ठा हो रहे हैं। मसलन नोट्स में डिटेल्स कुछ ऐसे होते हैं, '12 अक्टूबर को वेस्ट नॉर्थ शोर एवेन्यू पर आर्म्ड एजेंट्स स्पॉट हुए, 21 अक्टूबर को नॉर्थ लिंकन एवेन्यू होम डिपो पर गिरफ्तारी हुई। डीएचएस ने इनकी पुष्टि की है।

    अन्य यूनिवर्सिटी में भी ट्रैकिंग

    यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के 'द मारून' ने सोशल मीडिया रिपोर्ट्स देखकर डाटा ट्रैकर बनाया है। डिप्टी एडिटर एलेना ईसेनस्टाड्ट ने कहा, "सब इस पर बात कर रहे थे, तो कुछ करना जरूरी था।"

    डेपॉल यूनिवर्सिटी के 'द डेपॉलिया' में जेक कॉक्स ने सोशल मीडिया से टिप्स लिए हैं। उनके इंटर्नशिप वाले ब्लॉक क्लब शिकागो में आईसीई वॉट्सऐप चैनल बनाया, जहां 3,200 लोग स्टोरीज, साइटिंग्स और 'नो योर राइट्स' लिंक्स रिसीव कर सकते हैं।

    (समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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