पहली बार अंतरिक्ष में की गई अज्ञात सूक्ष्म जीवों की पहचान
अंतरिक्ष यात्रियों के उपचार और दूसरे ग्रहों पर डीएनए से जीवन तलाशने में मिलेगी मदद
वाशिंगटन (प्रेट्र)। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आइएसएस) में अंतरिक्ष यात्रियों ने पहली बार अंतरिक्ष में ही अज्ञात सूक्ष्म जीवों (माइक्रोब्स) की पहचान की है। नमूनों को धरती पर लाकर उनकी जांच किए बिना ही उन्हें यह सफलता मिली है। अंतरिक्ष विज्ञानी इसे बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। उनके मुताबिक यह सफलता अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भविष्य में कई राह खोलने का आधार साबित होगी। इसी आधार पर कई प्रयोगों के लिए नमूनों को जांच के लिए धरती पर नहीं लाना पड़ेगा।
इन चीजों में मिलेगी मदद
अंतरिक्ष विज्ञानियों के मुताबिक, अंतरिक्ष में ही सूक्ष्म जीवों की पहचान करने की यह क्षमता विकसित होने से अब अंतरिक्ष यात्रियों की बीमारियों की पहचान और उनका उपचार अंतरिक्ष में आसानी से किया जा सकेगा। इसके साथ ही दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश में भी यह तरीका अहम कदम साबित होगा क्योंकि इसके जरिए दूसरे ग्रहों पर डीएनए आधारित जीवन की पहचान की जा सकेगी। इसके अलावा भी कई ऐसे प्रयोग हैं, जिन्हें अंतरिक्ष में बनी प्रयोगशाला में ही सफलता के साथ पूरा किया जा सकेगा। नमूनों को धरती पर लाए बिना जांच करने से समय और धन की काफी बचत होगी।
इस तरह की पहचान
अंतरिक्ष में बनी प्रयोगशाला में सूक्ष्म जीवों की पहचान कई चरणों में की गई। इसमें नमूनों से डीएनए को अलग करना, फिर उसकी प्रति (कॉपी) बनाकर उसकी जांच करना और उसमें से इन जीवों को पहचान करना शामिल है। वैज्ञानिकों ने इन जीवों की पहचान दो हिस्सों में की है। पहले उन्होंने नमूनों को एकत्र किया और फिर पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) के द्वारा उसे विस्तार दिया। इसके उपरांत सूक्ष्म जीवों का अनुक्रमण कर उनकी पहचान की गई।
अमेरिका में बैठी थी टीम, जांच हो रही थी अंतरिक्ष में
नासा की अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हाट्सन ने यह प्रयोग अमेरिका में बैठीं नासा की माइक्रोबायोलॉजिस्ट व प्रोजेक्ट की प्रमुख अन्वेषक सारा वालेस और उनकी टीम की देखरेख व मार्गदर्शन में ऑर्बेटिंग प्रयोगशाला में किया। नासा के मुताबिक, नमूनों की जांच की दिशा में यह एक अहम कदम है, जिसका लाभ निकट भविष्य में देखने को मिलेगा।
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