एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई... अब क्या करेंगे मुनीर? गाजा में सेना भेजने का दबाव डाल रहे ट्रंप
पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। इस्लामाबाद पर अपनी पकड़ बनाए रखने और गाजा में सेना भेजने के अमेरिकी दबाव का सामना कर ...और पढ़ें

डोनल्ड ट्रंप और आसिम मुनीर। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर इन दिनों बहुत ही मुश्किलों के दौर से गुजर रहे हैं। उनको इस्लामाबाद पर अपनी बढ़ती पकड़ की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका गाजा में सेना भेजने का दबाव डाल रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मुनीर दोहरी मुश्किल में हैं क्योंकि गाजा स्थीकरण बल में पाकिस्तानी सैनिकों को भेजने से देश में विरोध हो सकता है तो वहीं अमेरिका की बात न मानने पर ट्रंप नाराज हो सकते हैं।
ट्रंप से मिलने अमेरिका जा सकते हैं मुनीर
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मुनीर आने वाले हफ्तों में ट्रंप से मिलने के लिए वॉशिंगटन जा सकते हैं। दो सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि यह छह महीनों में ट्रंप और मुनीर के बीच तीसरी मुलाकात होगी, जिसमें शायद गाजा फोर्स पर फोकस किया जाएगा। इनमें से एक सूत्र मुनीर के अमेरिका के साथ आर्थिक संबंधों से करीब से जुड़ा हुआ है।
ट्रंप का गाजा प्लान
ट्रम्प के 20-पॉइंट वाले गाजा प्लान में मुस्लिम-बहुसंख्यक देशों की सेनाओं से इजरायली सेनाओं के हटने के बाद युद्ध से तबाह फिलिस्तीनी इलाके में पुनर्निर्माण और आर्थिक सुधार के लिए ट्रांजिशन पीरियड की देखरेख करने को कहा गया है। इजरायली सेनाओं और हमास के बीच दो साल से ज़्यादा चले युद्ध से गाजा तबाह हो गया है।
मुनीर के लिए क्यों है मुश्किल?
लेकिन कई देश गाजा के इस्लामी ग्रुप हमास को गैर-सैनिक बनाने के मिशन से सावधान हैं, क्योंकि इससे वे संघर्ष में फंस सकते हैं और उनकी फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी आबादी गुस्सा हो सकती है।
विशेषज्ञों ने रॉयटर्स को बताया कि इस कदम से विदेशी सैनिक संघर्ष में और गहराई तक फंस सकते हैं और देश में फिलिस्तीन समर्थक और इजरायल विरोधी जनता की राय भड़क सकती है।
लेकिन मुनीर के लिए हालात ज्यादा नाज़ुक हैं, क्योंकि उन्होंने वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच सालों के अविश्वास को खत्म करने के लिए अस्थिर स्वभाव वाले ट्रंप के साथ करीबी रिश्ता बनाया है। जून में, उन्हें व्हाइट हाउस में लंच का इनाम मिला – यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने बिना किसी सिविलियन अधिकारी के पाकिस्तान के सेना प्रमुख को अकेले होस्ट किया था और वह उन्हें नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।
वॉशिंगटन स्थित अटलांटिक काउंसिल में साउथ एशिया के सीनियर फेलो माइकल कुगेलमैन ने रॉयटर्स को बताया, "गाजा स्टेबिलाइजेशन फोर्स में योगदान न देने से ट्रंप नाराज हो सकते हैं, जो एक पाकिस्तानी सरकार के लिए कोई छोटी बात नहीं है, उनकी नजरों में अच्छा बने रहने के लिए काफी उत्सुक दिखती है - खासकर अमेरिकी निवेश और सुरक्षा मदद पाने के लिए।"

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